बाराबंकी: केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सुरक्षा के लिए किये जा रहे दावों की पोल एक के बाद एक खुलती नजर आ रही है. नोएडा से लेकर कासगंज तक पुलिस विभाग की नाकामी सबके सामने है. हालात ये हैं कि पुलिस अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए आम जनता को निशाना बनाने से भी पीछे नहीं हट रही और फर्जी मुठभेड़ कर निर्दोष लोगों के लिए हैवानियत का सबब बनी हुई है.
पुलिस महकमे द्वारा नोएडा में की गयी फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि राजधानी लखनऊ से अपनी सीमा साझा करने वाले जिला बाराबंकी में भी पुलिस की दबंगई की कलई खुलती नजर आ रही है.
आम आदमी की सुरक्षा और असामाजिक तत्वों पर नकेल कसने के योगी सरकार के वादों की न सिर्फ पुलिस किरकिरी कराने पर अमादा है, बल्कि आम जनता को निशाना बना कर इंसानियत के नाम पर भी बट्टा लगा रही है.
बाराबंकी के मोहम्मदपुर खाला थाना इलाके में बीती रात पुलिस और अपराधियों में मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में जहां दो अपराधी घायल हुए हैं वहीं एक एसआई समेत तीन पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं. पुलिस द्वारा इनके कब्जे से 1 लाख 71 हज़ार रुपये, 4 तमंचे, 4 मोबाइल फोन और एक कार बरामद की गयी है.
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इस मुठभेड़ में शामिल अपराधी फेतहपुर तहसील में पिछले दिनों हुए दवा व्यवसायी की अपहरण कांड से जुड़े हुए थे जिसे इन लोगों ने खुद स्वीकार कर लिया है.
बाराबंकी मुठभेड़ को लेकर पुलिस की कहानी में पेंच ही पेंच नज़र आ रहे हैं. पुलिस और अपराधियों की इस मुठभेड़ को फर्जी ठहराने का काम तथाकथित मुठभेड़ में घायल अपराधी ने ही कर दिया है. पुलिस इसे मुठभेड़ दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं, इस अपराधी ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि वह अपने तीन साथियों के साथ तीन दिन पहले ही गिरफ्तार हो चुका है.
बाराबंकी पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिंह से जब इस मुठभेड़ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि किसान आन्दोलन को लेकर पुलिस एहतियात बरतने के लिए वाहनों की सघन चेकिंग कर रही थी. तभी उधर से एक कार आती दिखाई दी. पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया मगर वह लोग नहीं रुके और पुलिस पर गोलियां चला दी. इस पर पुलिस ने उनका पीछा कर जवाबी फायरिंग की जिसमें दो अपराधी घायल हो गए.
मुठभेड़ में पुलिस ने तीन शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया और दो अपराधी घायल हो गए जबकि एक अपराधी मौके से भागने में सफल हो गया.
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पुलिस का मामले को लेकर कहना है कि इन अपराधियों का अंतर्जनपदीय गिरोह है. पूछताछ में इन लोगों ने हाल ही में फतेहपुर में हुए दवा व्यवसायी के असफल अपहरण में शामिल होना स्वीकार किया है. साथ ही साथ जनपद लखनऊ के पीजीआई इलाके में बाराबंकी के गदिया इलाके में लूट सहित जिले की कई लूटपाट की घटनाओं में शामिल होना स्वीकार किया है.
पुलिस की मनगढ़ंत कहानी से पर्दा एक घायल अपराधी अंशू ने हटाया है. अंशू की माने तो यह कोई मुठभेड़ नहीं थी बल्कि उन्हें तीन दिन पहले ही उसके साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया था. गिरफ्तारी से पहले वह इलाहाबाद में था और पुलिस के कहने पर ही वह आ रहे था. पुलिस ने उन लोगों को बछरावां से गिरफ्तार कर लिया था. बीती रात लगभग डेढ़ बजे उनको पुलिस घटना स्थल पर लेकर गई थी जबकि घटना स्थल के करीब रहने वाले शिवराजपुर गांव निवासी भारत सिंह का कहना है कि उन्होंने किसी तरह की कोई फायरिंग की आवाज सुनी ही नहीं.
मामले में पुलिस नोएडा फर्जी मुठभेड़ की तरह ही बाराबंकी में भी अपने दोहरे और प्रतिकूल बयानों के द्वारा घिरती नजर आ रही है.