
नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश मालदीव में 15 दिनों की इमरजेंसी लगी दी गई है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने इस मामले में भारत से दखल की मांग की है। नशीद ने कहा है कि ऐसे हालात में भारत को मालदीव में दूत और सेना भेजनी चाहिए।
वहीं 2009 में मालदीव में जब इमरजेंसी लगाई गई थी तो वहां राष्ट्रपति समेत अन्य मंत्रियों ने अंडरवाटर मीटिंग की थी। ये दुनिया की पहली अंडरवाटर कैबिनेट मीटिंग थी।
उस वक्त राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने क्लाइमेट चेंज के मुद्दे को सामने लाने के लिए पानी के भीतर कैबिनेट मीटिंग रखी थी। दिसंबर 2009 में कोपेनहेगन में यूएन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस होना था और इसी से पहले खास मैसेज देने के लिए ऐसा किया गया।
मालदीव छोटे-छोटे आईलैंड पर बसा है और ये समुद्रतल से औसतन 2।1 मीटर की ऊंचाई पर हैं। ऐसे में क्लाइमेट चेंज होने पर अगर समुद्र का जलस्तर बढ़ता है तो इनके डूब जाने का खतरा बना हुआ है।30 मिनट की कैबिनेट मीटिंग समुद्र तल से 6 मीटर नीचे हुए।
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इस मीटिंग का उद्देश्य ये दिखाना था कि मालदीव का भविष्य कैसा हो सकता है।पानी के अंदर हुई कैबिनेट मीटिंग में मंत्रियों ने हाथ के इशारे और व्हाइट बोर्ड के जरिए कम्यूनिकेट कियामालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल लगा दी है।
गौरतलब है कि मालदीव के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृति संबंध हैं। हालांकि 2013 में अब्दुल्ला यामीन के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं।
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महज सवा 4 लाख आबादी वाला यह छोटा सा देश भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और यह अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है। मालदीव रणनीतिक रूप से कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इतनी कम आबादी वाले इस देश में चीन आक्रामक अंदाज में पैसे लगा रहा है।