
इस्लामाबाद। इस्लामाबाद में 13 जनवरी को एक फर्जी पुलिस एंकाउंटर में मारे गए नकीब महसूद के परिवार के लोगों और परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाए थे। इसके बाद सिंध सूबे की सरकार ने पुलिस एनकाउंटर की जांच के लिए एक जांच आयोग का भी गठन किया।
जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में नकीब को बेकसूर बताया है और कहा है कि पुलिस ने उसे फर्जी मुठभेड़ में मारा था। 26 जनवरी से ही पश्तून युवा पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका कहना है कि पाकिस्तान की ओर से खैबर पख्तूनख्वा में पश्तून नागरिकों का नरसंहार किया जा रहा है।
इस्लारमाबाद स्थित प्रेस क्लनब के बाहर हजारों की संख्या में पश्तुान समुदाय के लोगों ने एकत्रित होकर मानवाधिकार उल्लंरघनों का जिक्र करते हुए आजादी के नारे लगाए। उन्होंने एक लॉन्ग मार्च निकालते हुए नकीब महसूद के लिए न्यांय की मांग भी की।
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बता दें कि पुलिस ने नकीब पर लश्कार-ए-झांगवी और आइएसआइएस जैसे आतंकी संगठनों के साथ संपर्क में होने का झूठा आरोप भी लगाया था। झूठे दावे को नकीब के परिवार और रिश्तेऔदारों ने चुनौती दी और फिर पुलिस इनकाउंटर की जांच के लिए सिंध प्रांत की सरकार द्वारा एक जांच कमेटी का गठन किया गया। टीम ने एलान किया कि नकीब निर्दोष था और एक फर्जी पुलिस इनकाउंटर में मारा गया।
वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तान राज्य पोषित आतंकवाद का इस्तेमाल कर हमारे मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों पर खैबर पख्तूनख्वा और अफगानिस्तान में आंतकवाद को पोषित करने का आरोप लगाया।
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प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान पश्तून संस्कृति को खत्म करना चाहता है और आतंक के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाली लड़ाई को भी कमजोर कर रहा है। इस प्रदर्शन में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के करीब 10,000 पश्तून शामिल थे।