रावत के बयान पर भड़क गया ड्रैगन, कहा- जंग में पीछे नहीं चीन, उकसावा पड़ेगा भारी

जनरल बिपिन रावतबीजिंग। हाल ही में सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत द्वारा दिए गए एक बयान पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रया ज़ाहिर की। उन्होंने सेनाध्यक्ष के इस बयान को युद्ध के लिए एक उकसावा बताया। उनका कहना है कि यदि भारत की ओर से ऐसे ही बयान आते रहे तो चीन मुंहतोड़ जवाब देने में पीछे नहीं हटेगा। बता दें चीन ने रावत के इस बयान को कूटनीति की अपरिपक्वता बताया।

खबरों के मुताबिक़ चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के उस बयान का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को पश्चिमी सीमा से अपना ध्यान हटाकर उसे उत्तरी सीमा (चीन) पर केंद्रित करना चाहिए और वहां बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लानी चाहिए।

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इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए अखबार ने कहा है कि लगता है कि भारत डोकलाम में मिले सबक को भूल गया है। चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए बेहतर यही होगा कि वह बीजिंग द्वारा अपनाई गई दोस्ताना नीति पर चलता रहे।

इससे पहले भी चीन ने बिपिन रावत की जमकर आलोचना की थी। बयान को गैर रचनात्मक और सीमा पर स्थापित शांति को नुकसान पहुंचाने वाला बताया था।

चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, पिछले साल भारत-चीन संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सितंबर, 2017 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स में मुलाकात व दिसंबर में हुई उच्चस्तरीय वार्ता में रिश्तों को पटरी पर लाने की सहमति बनी।

हाल में दोनों देशों में हो रही बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ी है। द्विपक्षीय संबंधों में सुधार और विकास हो रहा है।

इस पृष्ठभूमि में भारतीय वरिष्ठ अधिकारी (जनरल रावत ) का ऐसा बयान सीमा पर शांति स्थापित करने में मदद नहीं करेगा।

जब लू से पूछा गया कि उन्हें जनरल की किस टिप्पणी पर आपत्ति है, तो उन्होंने कहा कि जनरल ने कहा है कि डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है। जबकि चीन इसे अपना इलाका मानता है।

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वहीं रावत की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा, “डोंग लांग इलाके में चीनी सैनिकों की तैनाती व गश्त संप्रभुता के अधिकार के तहत है और यह ऐतिहासिक संकल्प की व्यवस्था व क्षेत्रीय संप्रभुता बनाए रखने के अनुरूप है।”

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “डोंग लांग इलाका चीन का हिस्सा है और यह लगातार चीन के अधिकार क्षेत्र में रहा है। इस संबंध में कोई विवाद नहीं है।”

जनरल रावत ने सोमवार को कहा था कि डोकलाम में चीनी सैनिकों की संख्या में काफी कमी आई है।

सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में गतिरोध की वजह से भारत व चीन की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने रही हैं।

दोनों तरफ की सेनाओं के पीछे हटने के बाद यह संकट बीते साल अगस्त में सुलझ पाया था।

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