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क्राइम रिपोर्टनई दिल्ली। आज एक तरफ जहां महिलाएं, पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं, वहीँ महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों में बढ़ोतरी की खबर हर किसी को परेशान कर रही है। जी हां, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2016 की क्राइम रिपोर्ट जारी करते हुए जो आंकड़े पेश किए हैं वो बेहद संवेदनशील हैं। इन आंकड़ों से साफ़ जाहिर होता है कि महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों में कोई कमी नहीं आई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ 2014 के मुकाबले 2015 में औरतों के खिलाफ अपराध में 3 प्रतिशत की कमी देखी गई थी, वहीं 2016 में ये 2.9 प्रतिशत बढ़ गए हैं।

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बता दें कि, पिछली बार की ही तरह इस बार भी औरतों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले पति और रिश्तेदारों के अत्याचार के रूप में सामने आए हैं। ऐसे एक लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।

जबकि दूसरे नंबर पर महिलाओं से रेप की कोशिश और अन्य शीरीरिक उत्पीड़न शामिल है, जिनकी संख्या 84 हज़ार है। इसमें घूरने के 932 और पीछा करने के 7 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।

तीसरे नंबर पर अपहरण के 64000 मामले हैं। 2015 के मुकाबले यह संख्या 4000 ज्यादा बढ़ी है। इसमें शादी के लिए अपहरण किया जाने के मामले सबसे ज्यादा है, करीब 33 हज़ार।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की लिस्ट में चौथे नंबर पर बलात्कार के मामले दर्ज हैं। रेप के दर्ज मामले 2015 के मुकाबले 2016 में 12.4 बढ़े हैं। इसमें भी रेप करने वाले 94 प्रतिशत वे लोग हैं जो करीबी हैं। शादी का झांसा देकर रेप करने वाले मामले ज्यादा हैं, जिनकी संख्या करीब 10 हज़ार है।

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18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप के मामले में मध्यप्रदेश सबसे ऊपर है, वहीं एमपी समेत कई ऐसे राज्य हैं, जहां रेप के कुल मामलों में नाबालिग के साथ बलात्कार के केस ज्यादा हैं।

वहीँ अगर दहेज़ से होने वाली मौतों की बात करें तो इसके सात हज़ार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के सर्वाधिक मामले यूपी में (50 हज़ार) देखने को मिले हैं, वहीं लक्ष्यद्वीप में सबसे कम केस (4) सामने आए हैं। सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले मध्यप्रदेश में सामने आए हैं, जिसक बाद यूपी और महाराष्ट्र का नंबर आता है। दिल्ली जहां क्राइम रेट के मामले में सबसे ऊपर हैं, वहीं असम 2015 की ही तरह नंबर दो पर है।

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