रावण ने माता सीता का नहीं बल्कि इस कन्या का किया था हरण…

रावणवेदवती नाम की एक कन्या थी जो भगवान विष्णु की अनन्त भक्त थी। एक बार वह विष्णु देव की  तपस्या में लीन थी। रावण जबरन उसको अपनी पत्नी बनाना चाहता था। वेदवती ने योग क्रिया द्वारा अपने शरीर को भस्म कर दिया और रावण को श्राप दिया कि मेरे ही द्वारा तुम्हारा संहार होगा। वहां उपस्थित अग्नि देव ने वेदवती की आत्मा को अपने तन में समाहित कर लिया।

यह भी पढ़ें:- इन जगहों पर भी होता है पितरों का पिंड दान, बनी रहेगी सुख-शांति

एक दिन माता सीता के बार-बार कहने पर राम जी पंचवटी में स्वर्ण हिरण रूपी मारीच नामक राक्षस का वध करने के लिए बाहर चले जाते हैं। राम की आवाज सुन कर सीता जी के कठोर वचन बोलने पर लक्ष्मण जी भी राम जी के पीछे चले जाते हैं।

तत्पश्चात् राक्षस राज रावण सीता को हर ले जाने के लिए आश्रम के समीप आया,  उस समय अग्नि देव भगवान राम के अग्नि होत्र-गृह में विद्यमान थे।

अग्नि देव ने रावण की चेष्टा जान ली और असली सीता को साथ में लेकर पाताल लोक अपनी पत्नी स्वाहा के पास चले गये और सीता जी को स्वाहा की देख रेख में सौंप कर लौट आये।

अग्नि देव ने वेदवती की आत्मा को अपने तन से अलग करके सीता के समान रूप वाली बना दिया। और पर्णशाला में सीता जी के स्थान पर उसे बिठा दिया।

यह भी पढ़ें:-अगर आपको भी दिखते हैं शरीर में ऐसे लक्षण तो नजदीक है आपकी मृत्यु  

रावण ने उसी का अपहरण करके  लंका में ला बिठाया । तदन्तर रावण के मारे जाने पर अग्नि परीक्षा के समय उसी वेदवती ने अग्नि में प्रवेश किया।

उस समय अग्नि देव ने स्वाहा के समीप सुरक्षित जनकनंदनी सीतारूपा लक्ष्मी को लाकर पुन: श्री राम जी को सौंप दिया और वेदवती रूपी छाया सीता के अपने तन में समाहित कर लिया।

देखें वीडियो:-

LIVE TV