
पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पितरों का पिंड दान करने के लिए अक्सर लोग गया जाते हैं. लेकिन हमारे देश में गया के साथ इन जगहों पर भी पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान होता है. वैसे तो पिंड दान के लिए 55 श्राद्ध तीर्थ बताए गए हैं लेकिन इनमें से गया के अलावा इन जगहों का विशेष महत्व है.
गया है खास
गया को पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों का पिंडदान करने का सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है. वैसे तो श्राद्ध शास्त्रीय समय निश्चित है, परंतु ‘गया सर्वकालेषु पिण्डं दधाद्विपक्षणं’ कहकर वहां हमेशा पिंडदान करने की अनुमति दी गई है.
हरिद्वार
इसके अतिरिक्त हरिद्वार भी पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. हरिद्वार में नारायणी शिला पर पिंडदान का महात्म्य बताया जाता है. पितृ पक्ष में हरिद्वार में भी बहुत से लोग आकर अपने पुरखों के लिए पिंडदान करते हैं. जहां हरिद्वार की गंगा में डुबकी लगाने ने पाप से मुक्ति मिलती है वहीं यहां पिंडदान करने से पित्तरों को मोक्ष मिलता है.
काशी
पुराणो के अनुसार काशी में पिंड दान करना अनिवार्य कहा जाता है. यहां पिंडदान करने से पितरों की विभिन्न योनियों मुक्ति और प्रेत स्थिति से मोक्ष प्राप्ति होती है।
बद्रीनाथ
उत्तराखंड के बद्रीनाथ में ब्रह्माकपाल पर पिंडदान किया जा सकता है. यहां पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को नरकलोक से मुक्ति मिल जाती है. स्कंद पुराण के अनुसार, ब्रह्मकपाल का पिंडदान गया से आठ गुणा अधिक फलदायी श्राद्ध तीर्थ है. इसी स्थान पर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने के लिए शिव जी ने भी प्रायश्चित किया था.