
पटना। जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद से बागी तेवर अख्तियार कर लिए हैं। शरद यादव लगातर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है। इसके अलावा शरद यादव के ऊपर आरोप लगे कि उनके इशारे पर ही जदयू विधायक ने कांग्रेस के उम्मीदवार अहमद पटेल को अपना वोट दिया लेकिन इस आरोप से बचने की बजाय शरद यादव ने अहमद पटेल को बधाई देकर इस सवाल का जवाब खुद ही दे दिया।
शरद यादव का इस्तीफा?
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बता दें कि इन दिनों शरद यादव तीन दिन की बिहार यात्रा पर हैं। वो 10 अगस्त से 12 अगस्त के बीच बिहार के 7 जिलों में आम लोगों के बीच जाकर संवाद करेंगे। शरद यादव ने इस यात्रा का नाम “बिहार की जनता से सीधा संवाद कार्यक्रम” नाम दिया है।
शरद यादव जब गुरुवार को अपने तीन दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंचे तो उन्होंने कहा कि 70 साल के इतिहास में कभी ऐसा नहीं देखा गया कि चुनाव में दो दल आमने-सामने लड़े हों, दोनों के ‘मेनेफेस्टो’ बिल्कुल अलग हों और बीच में ही मिल गए हों।
उन्होंने कहा कि इस घटना से लोकतंत्र में विश्वास पर संकट पैदा हो गया है। बिहार में लोगों के विश्वास के साथ आघात हुआ है। इससे मुझे भी दुख पहुंचा है। जनता की राय से जो गठबंधन बना था और जनता से जो करार किया गया था, उसके साथ विश्वासघात हुआ है।
इससे पहले भी शरद यादव ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा था कि हमने गठबंधन 5 साल के लिए किया था, लेकिन इसके टूटने से 11 करोड़ लोगों का विश्वास टूटा है।
वहीं पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने शरद यादव के ऊपर आरजेडी के साथ साठगांठ का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शरद यादव को अपनी हद में रहना चाहिए।
खबर के मुताबिक, अगर शरद यादव पार्टी के खिलाफ बयानबाजी बंद नहीं करते हैं तो उन्हें जल्द ही पार्टी से बर्खास्त किया जा सकता है। इसके अलावा पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर उनकी राज्यसभा की सदस्यता भी जा सकती है।