
ग्वालियर। कुलैथ के जगन्नाथ मंदिर में सोमवार शाम एक चमत्कार देखने को मिला। हर बार की तरह इस बार भी रथयात्रा के बाद भक्त भात (चावलों) से भरा मटका लेकर भगवान जगन्नाथ के मंदिर पहुंचे। लेकिन मंदिर के मुख्य पुजारी किशोरी लाल ने जैसे ही मटका भगवान जगन्नाथ के सामने रखा, मटका जोरदार आवाज के साथ चार टुकड़ों में टूट गया। ये नजारा देख मंदिर श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंज उठा। इतना ही नहीं भक्तों में भात लूटने की होड़ भी लग गई।
बता दें इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है।
रथयात्रा का आयोजन
कुलैथ के 173 साल पुराने इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र की रथ यात्रा ठीक उसी दिन आयोजित की जाती है, जिस दिन पुरी में इसका आयोजन होता है।
इतना ही नहीं पुरी में यात्रा के दौरान जब कुलैथ प्रस्थान का मुहूर्त आता है, तो घोषणा होती है कि अब भगवान अपनी बहन और दाऊ के साथ कुलैथ रवाना हो रहे हैं।
मंदिर का इतिहास
मंदिर के मुख्य पुजारी किशोरीलाल बताते हैं कि 1816 से 1844 तक उनके पूर्वज सांबलदास जी ने लगातार कनक दंडवत करते हुए 7 बार पुरी की यात्रा की। तब उनकी उम्र 9 वर्ष थी। सांबलदास जी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान जगन्नाथ कुलैथ में उनके साथ आ गए।
इसके बाद से ऐसी मान्यता मानी जाने लगी कि पुरी में जब तक प्रभु का अवतार नहीं होगा, तब तक उनकी शक्ति यथावत बनी रहेगी।
प्रसाद में भात
सालों से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि अगर भगवान जगन्नाथ को प्रसाद स्वरूप चढ़ाए जाने वाले चावल का एक दाना भी यदि श्रद्धालु अपने खाद्यान्न में रखता है, तो उसके घर में कभी खाद्यान्न की कमी नहीं होती।