
अगरतला। त्रिपुरा की सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह एक जनजातीय पार्टी को अलग राज्य की मांग को लेकर 10 जुलाई से सड़क व रेल की नाकाबंदी के लिए उकसा रही है। हालांकि, भाजपा ने इस आरोप का खंडन किया और कहा कि वह भी इस मांग के खिलाफ है।
कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस ने इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की नए राज्य की मांग का विरोध किया। आईपीएफटी त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के तहत आने वाले इलाके को अलग कर नया राज्य बनाना चाहता है।
जनजातीय पार्टी फरवरी 2018 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले त्रिपुरा की वाम मोर्चा सरकार पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-8 व उत्तर-पूर्व राज्य की अकेली रेल लाइन को बंद करने की योजना बना रही है।
माकपा ने राज्य सचिव बिजन धर ने कहा, भाजपा आईपीएफटी को रेल और सड़क नाकाबंदी के लिए उकसा रही है, जिससे वह त्रिपुरा विधानसभा चुनावों से पहले संकट पैदा कर राजनीतिक फायदा हासिल कर सके।
बिजन धर ने कहा कि मार्च 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने युनाइटेड नगा काउंसिल को राष्ट्रीय राजमार्ग बंद करने के लिए उकसाया था, ताकि राज्य से कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका जाए।
उन्होंने कहा, “कई महीनों से चल रही सड़क नाकाबंदी भाजपा के सत्ता संभालने के 48 घंटे के भीतर हट गई।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राज्य इकाई के अध्यक्ष बिप्लव कुमार देब ने कहा, “माकपा का आरोप पूरी तरह से झूठा व मनगढ़ंत है। भाजपा त्रिपुरा के विभाजन का कभी समर्थन नहीं करती। वाम मोर्चा को किसी के द्वारा मुश्किल पैदा किए जाने व शांति भंग पर प्रशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए।”