लड़कियों के खतने को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं ने बनाया ग्रुप

महिला खतनानई दिल्ली। देश के चिकित्सकीय और कानूनी हलकों में जहां महिला खतना चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं 6 बोहरा महिलाएं इस प्रथा को बढ़ावा दे रही हैं। इन 6 महिलाओं में दो डॉक्टर हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय में छोटी बच्चियों के खतने के खिलाफ आवाजें बुलंद हो रही हैं ऐसे में ये खबर हैरान करने वाली है। इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि इन डॉक्टरों पर कार्रवाई की जा सकती है।

महिला खतना को बढ़ावा…

महिलाओं ने महिला खतने का सपॉर्ट करने के लिए दाऊदी बोहरा विमिन फॉर रिलीजस फ्रीडम(DBWRF) नाम का ग्रुप बनाया है। DBWRF ग्रुप में शामिल दोनों डॉक्टर मुंबई के सैफी अस्पताल में प्रैक्टिस करती हैं। इस ग्रुप के फाउंडर मेंबर्स में से एक, डॉक्टर फातिमा जेतपुरवाला ने कहा, ‘ग्रुप का गठन मुख्यधारा की दाउदी बोहरा महिलाओं को आवाज देने के लिए किया गया है। DBWRF का मानना है कि धर्म उन्हें खतना करने की आजादी देता है, लिहाजा इस प्रथा को बरकरार रखने में बुराई नहीं। उन्हें किसी ऐसे किसी कानून की जरूरत नहीं, जो किसी अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाता हो।’

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डॉ. फातिमा सैफ अस्पताल में होम्योपैथ स्पेशलिस्ट हैं। वहीं, अन्य फाउंडर मेंबर्स में से डॉ. अलेफिया बापइ गायनकॉलजिस्ट और लैपरॉस्कपिक सर्जन हैं, नफीसा एक टीचर हैं, बातुल रतलामवाला एक शेफ हैं, राशीदा दीवान शिक्षक हैं और जोहरा अतरावाला एक काउंसलर हैं।

IMA अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टरों द्वारा खतने का समर्थन ‘मेडिकल एथिक्स के खिलाफ’ है। उन्होंने आगे कहा, ‘IMA वर्ल्ड मेडिकल असोसिएशन पॉलिसी के प्रति जवाबदेही रखता है। हम खतना का विरोध करते हैं, फिर चाहे उसका लेवल कितना भी क्यों न हो। यह प्रक्रिया सायंटिफिक नहीं है और हम उन फिजिशन्स का विरोध करते हैं, जो इसका समर्थन करते हैं या अंजाम देते हैं।’

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