हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का नया फरमान, इस तरह के इलाज पर नहीं देगी मेडिक्लेम   

हेल्थ इंश्योरेंस कंपनीनई दिल्ली। हाल ही में मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के डॉक्टरों को एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि अब वो सिर्फ जेनरिक दवाओं पर ही मेडिक्लेम स्वीकार करेगी।  इस नोटिस पर  डॉक्टरों का कहना है कि उनके लिए इसे मानना असंभव है क्योंकि कई दवाएं खास तौर पर वे जो गंभीर बीमारी जैसे कैंसर में जीवन रक्षक मानी जाती हैं वे केवल ब्रैंड्स की ही उपलब्ध होती हैं। आपको बता दें कि इससे पहले डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि वे अब केवल जेनेरिक दवाइयां ही लिखें, जिससे मेडिक्लेम मिल सके।

मैक्स भूपा ने अपने नोटिस में कहा, ‘इस नोटिफिकेशन (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) को देखते हुए मैक्स बूपा आपके हॉस्पिटल्स द्वारा किए गए सभी मेडिक्लेम (जेनेरिक दवाओं के छोड़कर) रोक देगा।’ इस सर्कुलर को पांच मई से प्रभावी होना था।

21 अप्रैल 2017 को देश की सर्वोच्च मेडिकल रेग्युलेटर (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) एमसीआई ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसके मुताबिक, ‘सभी फिजिशन स्पष्ट रूप से और कैपिटल लेटर्स में जेनेरिक दवाएं लिखेंगे साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उसका नुस्खा और उपयोग भी लिखा हो।’ हालांकि नौ मई को आईएमए पुणे और राज्य इकाई ने मैक्स बूपा सर्कुलर का जवाब देते हुए इस आदेश पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई। इसमें उन्होंने कहा कि केवल जेनेरिक दवाओं से मरीज का उपचार नहीं किया जा सकता।

हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया की पुणे इकाई के चेयरमैन डॉ संजय पाटिल ने कहा, ‘हमने उन्हें नौ मई को लिखा था कि डॉक्टरों के लिए केवल जेरेनिक दवाएं लिखना असंभव है। उचित दवा और ब्रैंड चुनने की आजादी डॉक्टर के पास है न कि किसी मेडिकल स्टोर और इंश्योरेंश कंपनी के पास। जेनेरिक दवाओं की कोई उचित परिभाषा नहीं है और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक जेनेरिक दवाएं वे होती हैं जो पेटेंटेड होती हैं और ऑरिजिनल मैन्युफैक्चरर के लाइसेंस के बिना बेची जाती हैं।’

उन्होंने कहा ‘हमने उनसे कहा है कि वे डॉक्टरों की चिंताओं पर विचार करें और इस तरह के सर्कुलर जारी करने से पहले हमारी सलाह लें। हमें अभी तक उनके रिप्लाई का इंतजार है।’ सर्कुलर के बाद मरीज को होने वाली परे शानी बताते हुए आईएमए के पुणे इकाई के प्रेजिडेंट डॉ प्रकाश मराठी ने कहा, ‘इंश्योरेंस कंपनी ने इंश्योरेंश अग्रीमेंट में यह प्रावधान किया है जो कि सही नहीं है। डॉक्टरों के लिए केवल जेनेरिक दवा से इलाज करना कठिन है और मरीजों को भी क्लेम सेटल करने में समस्या होगी। हर मरीज-डॉक्टर और हॉस्पिटल को परेशानी होगी। अगर पांच जेनेरिक दवाएं लिखी गई हैं और मरीज को चार मिल जाती हैं और एक दवा वह ब्रैंडेड ले लेता है तो फिर उसे क्लेम नहीं मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि कंपनी के फैसले के चलते अब मरीज को इलाज या इंश्योरेंस में से किसी एक को चुनना होगा।

इस संबंध में एक ईमेल का जवाब देते हुए मैक्स भूपा ने कहा, ‘मैक्स भूपा में अपने मरीज का स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता होती है और हम पॉलिसी की शर्तों के मुताबिक क्लेम देते रहेंगे। अपने पार्टनर हॉस्पिटल्स के साथ सपंर्क बनाए रखने की प्रक्रिया में मैक्स भूपा ने उनसे भारत सरकार और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अधिसूचना और एमसीआई के सर्कुलर पर चर्चा की थी। इस सर्कुलर में जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात कई गई है।’

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