गुजरात था निशाना, पंजाब में ही नहीं आप, अब “आप” का क्‍या होगा

आपचंडीगढ़। पंजाब में आम आदमी पार्टी की बहुमत की सरकार बनाने के अरविंद केजरीवाल के दावे नतीजों के साथ ही धराशायी हो गए। 100 सीटों का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी 50 से भी कम सीटों पर सिमट गई। इतना ही नहीं गोवा में पार्टी का खाता भी नहीं खुला और अरविंद केजरीवाल के सारे सिपाही गोवा के चुनावी समर में ढेर हो गए। गुजरात के चुनाव में झाड़ू फेरने की तैयारी कर रही पार्टी का इन नतीजों के बाद एक बड़ा सवाल कि अब “आप” का क्या होगा?

पंजाब और गोवा के नतीजों से अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय मंसूबों को तगडा झटका लगा है। पंजाब के बाद अरविंद केजरीवाल की नजर नरेंद्र मोदी के गढ़ गुजरात पर थी। जहां इसी साल दिसंबर में चुनाव होने हैं। जाहिर है कि पंजाब और गोवा में लगे झटके के बाद पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं के हौसले टूट चुके हैं। ऐसे में टूटे हौसले के साथ उत्तर प्रदेश में जीत के बाद उच्च मनोबल से लबरेज बीजेपी को गुजरात में चुनौती देना अब पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल होगा।

लेकिन गुजरात से पहले केजरीवाल को एक बड़ी चुनौती दिल्ली में ही मिल सकती है जहां अगने महीने नगर निगम के चुनाव हैं। अगर पंजाब के नतीजों का असर दिल्ली के निगम चुनाव पर पड़ा तो यहां भी आम आदमी पार्टी को झटका लग सकता है और फिर अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता पर सवालिया निशान पैदा हो जाएगा।

केजरीवाल की पहली चुनौती होगी दिल्ली के नगर निगम चुनाव जीतना है, क्योंकि अपने ही गढ़ में हारे तो दूसरे राज्य में जवाब देना मुश्किल होगा। इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास का कहना है कि पार्टी हार स्वीकार कर पंजाब में अच्छे भूमिका निभाने के लिए तैयार है, लेकिन एमसीडी के साथ गुजरात जाकर चुनाव लडने के पार्टी के निर्णय में कोई बदलाव नहीं है।

वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रभारी संजय सिंह का कहना है कि पार्टी हार के हर पहलू पर चर्चा करेगी और पार्टी के कार्यकर्ताओं से संवाद करेगी. लेकिन सवाल है कि आखिर “आप का क्या होगा”?

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