नए विवाद ने लिया जन्म, बढ़ेगी मोदी सरकार और केजरीवाल के बीच दूरी

मोदी सरकार और केजरीवालनई दिल्ली: मोदी सरकार और केजरीवाल बीच का विवाद बढ़ने के एक नए कारण ने जन्म ले लिया है। केन्द्र ने दिल्ली सरकार के विधायकों की तनख्वाह में इजाफा करने से जुड़े बिल को वापस लौटा दिया है।

उपराज्यपाल अनिल बैजल के ज़रिए गृह मंत्रालय ने केजरीवाल सरकार के विधायकों की सैलरी में बढ़ोत्तरी के बिल को वापस लौटा दिया है।

दिल्ली सरकार ने विधायकों की तनख्वाह में 400 फीसदी का इजाफा करने का बिल लाई थी, जिसे उप राज्यपाल ने दिल्ली सरकार से वैधानिक प्रक्रिया के तहत इस बिल को सही फ़ॉर्मेट में भेजेने को कहा।

मोदी सरकार और केजरीवाल की बीच विवाद आम बात

मोदी सरकार और केजरीवाल के बीच पिछले साल अगस्त में उस वक्त भी तनातनी हुई थी जब दिल्ली सरकार से इस बिल के संदर्भ में कई सवाल किए थे। केंद्र ने दिल्ली सरकार से इतनी ज्यादा बढ़ोतरी का व्यवहारिक पक्ष जानना चाहा था।

गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार वे कारण बताए जिससे यह माना जा सके कि दिल्ली में विधायकों का खर्च 400 प्रतिशत तक बढ़ा है।

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने केजरीवाल सरकार के इस बिल को एक लाइन की सलाह के साथ वापस कर दिया है। मंत्रालय ने लिखा है, ‘ यह बिल सही फॉर्मेट के साथ नहीं भेजा गया है और इसे तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, जब यह सही तरीके के साथ भेजा जाए।

उल्लेखनीय है कि 2015 में दिल्ली विधानसभा ने विधायकों की सैलरी में संशोधन संबंधी यह बिल पास किया था. इसमें विधायकों की सैलरी 88 हजार से बढ़ाकर 2 लाख 10 हजार रुपये करने का प्रस्ताव रखा था।

इसके साथ विधायकों का यात्रा भत्ता भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर तीन लाख सालाना करने का प्रावधान किया. इस बिल के अनुसार, दिल्ली के विधायकों को बेसिक सैलरी- 50,000, परिवहन भत्ता- 30,000, कम्यूनिकेशन भत्ता- 10,000 और सचिवालय भत्ते के रूप में 70,000 रुपये प्रति महीने का प्रावधान था।

 

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