सरकार जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध

जैविक कृषि के महत्वनई दिल्ली| केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि जैविक कृषि के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार सतत उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा एवं मृदा स्वास्थ्य पर जोर देने के साथ जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह बात गुरुवार को गाजियाबाद में जैविक खेती पर आयोजित कृषि मेले में कही।

जैविक कृषि के महत्व

कृषि मंत्री ने कृषि मेले में जैविक खेती पर आयोजित वर्कशॉप में कहा कि भारत सरकार ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (ओवीसीडीएनईआर) योजनाओं का प्रारंभ किया है।

सिंह ने कहा कि परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) पहली व्यापक योजना है जिसका कार्यान्वयन प्रति 20 हेक्टेयर के कलस्टर आधार पर राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। कलस्टर के अंतर्गत किसानों को अधिकतम 1 हेक्टेयर तक की वित्तीय सहायता दी जाती है और सहायता की सीमा 3 वर्षो के रूपांतरण की अवधि के दौरान प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये है। दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर करते हुए 10,000 कलस्टरों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है।

कृषि मंत्री ने कहा कि पंडित दीन दयाल उन्नत कृषि शिक्षा योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 23 प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जानी है।

सिंह ने बताया कि जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बीच हाल में एक समझौता हुआ है जिसके तहत उत्तराखंड में गंगा की धारा से लेकर पश्चिम बंगाल तक 1657 ग्राम पंचायतों में नमामि गंगे परियोजना के तहत परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1657 कलस्टर में जैविक खेती विकसित की जाएगी। इस परियोजना के अंतर्गत कृषि मंत्रालय कलस्टर निर्माण के साथ एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और माइक्रो सिंचाई तकनीक पर प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएगा।

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