
गुरुवार धर्म का दिन होता है। ब्रह्मांड में स्थित नौ ग्रहों में से गुरु वजन में सबसे भारी ग्रह है। यही कारण है कि इस दिन हर वो काम जिससे कि शरीर या घर में हल्कापन आता हो। ऐसे कामों को करने से मना किया जाता है क्योंकि ऐसा करने से गुरु ग्रह हल्का होता है। यानी कि गुरु के प्रभाव में आने वाले कारक तत्वों का प्रभाव हल्का हो जाता है। गुरु धर्म व शिक्षा का कारक ग्रह है। गुरु ग्रह को कमजोर करने से शिक्षा में असफलता मिलती है। साथ ही धार्मिक कार्यों में झुकाव कम होता चला जाता है।
विक्रम संवत् – 2073
वार – गुरुवार
संवत्सर – सौम्य
शक – 1938
आयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – अश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वादशी
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी
योग– इन्द्र
दिशाशूल- गुरुवार को दक्षिण दिशा और अग्निकोण का दिशाशूल होता है यदि यात्रा अत्यन्त आवश्यक हो तो दही का सेवनकर प्रस्थान करें।
राहुकाल (अशुभ) – सुबह 13:34 बजे से 14:52 बजे तक।
सूर्योदय – प्रातः 06:29।
सूर्यास्त – सायं 05:51।
व्रत – दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है और इस व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। कुछ लोग शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के प्रदोष के बीच फर्क बताते हैं।
प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं।