वर्ष 2016 में दुनिया के 6 फीसदी मलेरिया के मामले भारत में : डब्ल्यूएचओ

मलेरियानई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2017 के मुताबिक 2016 में दुनियाभर में 21 करोड़ 60 लाख मलेरिया के मामले सामने आए जिनमें छह फीसदी मामले भारत में दर्ज किए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2016 में दुनियाभर के कुल मलेरिया के मामलों के 80 फीसदी मामले 15 देशों में में पाए गए। सबसे ज्यादा नाइजीरिया में विश्व में 27 फीसदी मलेरिया के मामले दर्ज किए गए। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में 10 फीसदी, भारत में 6 फीसदी और मोजांबिक में 4 फीसदी वैश्विक मलेरिया के मामले पाए गए।

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भारत में 2016 में मलेरिया से पीड़ित 331 लोगों की मौत हुई, जोकि दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे ज्यादा है। मलेरिया से होनेवाली मौत के मामले में भारत में सिर्फ अफ्रीकी देश कांगो से पीछे था जहां 33,997 लोगों की मौत हुई थीं।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा उड़ीसा में 2016 में मलेरिया से लोगों की मौत हुई जो 2013 के आंकड़ों की दोगुनी थी। अन्य देशों में मलेरिया का कोई बड़ा प्रकोप नहीं सामने आया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों में अमेरिका में 2014 और 2016 के बीच मलेरिया के मामलों में काफी इजाफा हुआ। मामूली इजाफा दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिमी प्रशांत व अफ्रीकी क्षेत्रों में भी दर्ज किया गया।

2016 में वाईवैक्स मलेरिया के 85 फीसदी मामले सिर्फ पांच देशा में सामने आए। ये देश हैं-अफगानिस्तान, इथोपिया, भारत, इंडोनेशिया और पाकिस्तान।

एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में 2016 में मलेरिया में 4 लाख 45 हजार लोगों की मौत हुई, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 4 लाख 46 हजार था।

रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र में प्लाजमोडियम फालसिपेरम सबसे प्रचलित मलेरिया परजीवी है जिसके कारण 2016 में 99 फीसिदी मलेरिया के मामले उजागर हुए। अफ्रीका के बाहर पी. वाईवैक्स परजीवी अमेरिकी इलाकों में प्रभावी रहती हैं। इस परजीवी के कारण अमेरिका में 64 फीसदी, दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में 30 फीसदी और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में 40 फीसदी मामले सामने आए।
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रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2014 और 2016 के दौरान 58 करोड़ 20 लाख इन्सेक्टिसाइड ट्रीटेड मॉस्क्विीटो नेट्स (आईटीएनज) लोगों को विनिर्माता कंपनियों ने मुहैया करवाए थे। इनमें से 50 करोड़ 20 लाख आईटीएनज अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र में बांटे गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले वाले 41 देशों में 34 देश मलेरिया कार्यक्रम के लिए विदेशी खर्चो पर ही भरोसा करते हैं। इन 41 देशों में कुल मिलाकर प्रति व्यक्ति दो अमेरिकी डॉलर से भी कम है।

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