पुणे कोर्ट ने जारी किया ‘कारण बताओ’ नोटिस, भंसाली समेत 6 लोगों को पेश होने का आदेश

पुणे कोर्टपुणे। संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म ‘पद्मावती’ पर विवाद दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कभी करणी सेना दीपिका की नाक काटने की बातें कहती हैं तो कभी भंसाली के सिर काटने पर करोड़ों का इनाम रख दिया जाता है। ऐसे में जब फिल्म का इतना विरोध हो रहा है, तो कहीं न कहीं ‘पद्मावती’ की रिलीज़ डेट पर भी संशय बरक़रार दिख रहा है।

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वहीँ अब पुणे की एक अदालत ने फिल्म ‘पद्मावती’ के निर्देशक संजय लीला भंसाली और फिल्म के लीड कलाकारों समेत छह प्रतिवादियों को ‘कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन सभी को मंगलवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया है।

बता दें वकील स्मिता पडोले और सुदीप केंजलकर ने मुकदमा दायर कर फिल्म ‘पद्मावती’ की पुणे जिले में रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है।

सुदीप केंजलकर ने उस कारण पर बात की, जिसकी वजह से पुणे सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने की जरूरत पड़ी।

सुदीप ने कहा कि फिल्म पद्मावती  का ट्रेलर, जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, उसमें रानी पद्मावती को लोगों के सामने नृत्य करते दिखाया गया है, वो भी बिना घूंघट के। वहीँ अगर इतिहास पन्नों पर नज़र डाली जाये तो इस तरह की कोई घटना नहीं हुई और ना ही कहीं इसका कोई सबूत है।

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वहीँ वकील स्मिता पडोले के मुताबिक ये दूसरा मौका है जब फिल्मकार संजय लीला भंसाली और उसकी टीम ने इतिहास से छेड़छाड़ की है। पडोले के मुताबिक, ‘पिछली बार उन्होंने ‘बाजीराव मस्तानी’ में काशीबाई (बाजीराव की पत्नी) और मस्तानी (प्रेमिका) को सार्वजनिक तौर पर एक साथ नृत्य करते दिखाया था। जबकि हकीकत में पेशवा इतिहास में ऐसा कभी हुआ ही नहीं।

अब एक बार फिर भंसाली अपनी इच्छानुसार इतिहास से खिलवाड़ कर रहे हैं, वो भी सिर्फ मनोरंजन और आर्थिक फायदे के लिए। इसी के कारण विवादित फिल्म की पुणे में रिलीज पर रोक लगाने के लिए कोर्ट से निवेदन किया गया है।

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इन दोनों वकीलों ने कहा कि रानी पद्मावती को क्षत्रिय समाज और राजपूत वैसे ही पूजता है जैसे कि महाराष्ट्रवादी मां जिजाऊ और रानी लक्ष्मीबाई का सम्मान करते हैं।

रिलीज़ होने पर भड़क सकती है हिंसा

पुणे कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले इन दोनों वकीलों का मानना है कि अगर इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली इस तरह की फिल्म पुणे जैसे ऐतिहासिक शहर में रिलीज होती हैं तो लोगों की भावनाएं आहत होंगी और शांतिपूर्ण समाज में हिंसा होने की संभावना है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान भी पहुंच सकता है।

21 नवम्बर को अदालत में होगी पेशी

पुणे सिविल कोर्ट ने सेक्शन 91 सीपीसी (सिविल प्रोसीजर कोड 1908) के तहत सुदीप और पडोले को मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी। साथ ही भंसाली प्रोडक्शन्स और स्टार कास्ट के सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 21 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया।

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