’31 अक्टूबर’ को पंजाब की राजनीति में होगा बड़ा उलटफेर
नई दिल्ली| इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख दंगों पर आधारित फिल्म 31 अक्टूबर में अभिनेत्री सोहा अली खान एक सिख महिला का किरदार निभा रही हैं।
वह इन दंगों में अपने परिवार की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद करती दिखाई देंगी।
सोहा ने फिल्म के पंजाब चुनावों पर पड़ने वाले असर और फिल्म पर हो रही राजनीति के बारे में बात की।
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31 अक्टूबर की वास्तविकता
सोहा कहती हैं, “यह फिल्म सिख दंगों की हकीकत से लोगों को रू-ब-रू कराएगी। ऐसे लोग, जिन्हें इन दंगों की वास्तविकता पता नहीं हैं, वे फिल्म देखकर उस दर्द को समझ पाएंगे, जिनसे पीड़ित गुजरे हैं।”
अगले साल पंजाब विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या इस फिल्म का पंजाब चुनाव पर असर पड़ेगा, सोहा कहती हैं, “यह फिल्म किसी भी राजनीतिक पार्टी का विरोध नहीं करती, फिल्म में सिर्फ सच्चाई उजागर की गई है। फिर भी इसका थोड़ा-बहुत असर पंजाब चुनाव पर तो पड़ेगा ही।”
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सोहा ने फिल्म की शूटिंग से पहले सिख दंगों से संबंधित काफी तथ्यों का अध्ययन किया है। वह कहती हैं, “मैंने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से इस घटना की बारीकी समझी है।”
फिल्म की कहानी बताते हुए सोहा कहती हैं, “इसमें इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मचे कत्लेआम में एक परिवार की खुद को बचाने की जद्दोजहद दिखाई गई है। यह देखना काफी मार्मिक होगा। दंगों के दौरान गैर समुदाय के काफी लोगों ने अपनी जान खतरे में डालकर सिखों को बचाया। उन्होंने दो-तीन दिनों तक सिखों को अपने घरों में छिपाकर रखा। यह फिल्म कांग्रेस, भाजपा या आम आदमी पार्टी के बारे में नहीं है, बल्कि भाईचारे के बारे में है।”
फिल्म की रिलीज डेट जैसे-जैसे पास आ रही है, विवाद बढ़ता जा रहा है। आम आदमी पार्टी भी इस विवाद में कूद पड़ी है।
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फिल्म का विषय विवादास्पद होने की वजह से सेंसर बोर्ड की कैंची की धार फिल्म पर कुछ ज्यादा ही तेज रही है। इस पर सोहा कहती है, “सेंसर बोर्ड प्रमाणन बोर्ड है। वह सिर्फ फिल्मों को प्रमाणपत्र दे, बाकी दर्शकों पर छोड़ दे। दर्शक खुद तय करेंगे कि उन्हें क्या देखना है और क्या नहीं देखना है।”
सोहा कहती हैं कि अभिनेता वीर दास के साथ काम करने का अनुभव बेहतरीन रहा। वह कहती हैं, “मैं उन्हें गो, गोवा, गोन के समय से जानती हूं। इस फिल्म में उन्होंने काफी हटकर किरदार निभाया है। आप उनका अभिनय देखकर चौंक जाएंगे।”
सोहा का मानना है कि फिल्म रिलीज होने के बाद दंगों को लेकर लोगों के विचारों में यकीनन बदलाव आएगा। उनकी नजर में यह फिल्म दंगों में जान गवां चुके लोगों को एक श्रद्धांजलि है।