
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत आज ही के दिन यानी 12 अक्टूबर, 1993 को हुआ था। इसका उद्देश्य मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देना और उनका संरक्षण करना है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कार्य
- आयोग किसी भी प्रकार के मानवाधिकार हनन का स्वतः संज्ञान लेता है।
- मानवाधिकारों के हनन के मामलों में पड़ताल करता है।
- पीड़ितों को मुआवजा देने के लिये लोकाधिकारियों को अनुमोदन करता है।
- मानवाधिकारों का हनन करने वाले जनसेवकों के खिलाफ कानूनी और अन्य दण्डनीय कार्रवाई करता है।

इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस के संबोधन में कहा- भारत ने इसी कोरोना काल में गरीबों, असहायों, बुजुर्गों को सीधे उनके खाते में आर्थिक सहायता दी है। प्रवासी श्रमिकों के लिए ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ की सुविधा भी शुरू की गई है, ताकि वो देश में कहीं भी जाएँ, उन्हें राशन के लिए भटकना न पड़े। दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ क़ानून की मांग कर रही थीं। हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ क़ानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है।
गरीब मज़बूर का प्रतिष्ठा और हौसला बढ़ा
जो गरीब कभी शौच के लिए खुले में जाने को मज़बूर था, उस गरीब को जब शौचालय मिलता है, तो उसे प्रतिष्ठा भी मिलती है। जो गरीब कभी बैंक के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था उस गरीब का जब जनधन अकाउंट खुलता है, तो उसमें हौसला आता है, उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है।
भारत विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया
एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया। हमारे बापू को देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में देखता है। भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आज़ादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है। हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया।