22 सालों से जंजीरों में कैद था ये बुजुर्ग पिता, कहानी जानकर नहीं रुकेंगे आपके आंसू…

मध्य प्रदेश से हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसे सुनकर आप का भी दिल पसीज जाएगा। यहां का एक परिवार अपने ही बीमार पिता को सालों से बेड़ियों में बांधकर रखा है। जब लोगों के सामने यह घटना आई तो सभी हैरान हो गए।

यह अमानवीय घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर के एक गांव की है। जहां मानसिक रूप से बीमार एक बुजु्र्ग को करीब 22 सालों से खूंटे से बांधकर एक छोटे से कमरे में कैद करके रखा गया है।

बुजुर्ग पिता

पीड़ित के बेटे का नाम देवीदीन यादव है। यह घटना उस वक्त सामने आई जब देवीदीन पटवारी श्यामलाल अहिरवार से इस वजह से सम्पर्क किया था ताकि वह अपने पिता के नाम की जमीन को उसके नाम कर दें।

उस वक्त पटवारी ने देवीदीन से कहा था कि इसके लिए उन्हें सबसे पहले अपने पिता के सहमति की जरूरत होगी।

पटवारी श्यामलाल द्वारा ऐसा कहे जाने पर देवीदीन ने उनके सामने पिता की खराब मानसिक स्थिति का जिक्र किया। देवीदीन के इस बात पर पटवारी स्वयं वृद्ध से मिलने उनके घर गया। जब उन्होंने घर जाकर उन्हें बेड़ियों से जकड़े देखा तो उनसे रहा नहीं गया।

बुजुर्ग बैजनाथ ने पटवारी को उस समय बताया कि उसे उसके परिवालों ने 22 सालों से लोहे के खूंटे से बांधकर रखा है। वह हाथ जोड़कर पटवारी से विनती करने लगे कि उन्हें इस अंधेरे से बचा लिया जाएं और इन जंजीरों से मुक्त कराया जाएं।

श्यामलाल ने इस बात का जिक्र छतरपुर तहसीलदार आलोक वर्मा से किया। इसके बाद तहसीलदार ने वकील संजय शर्मा को इस बात की जानकारी दी जो 27 साल से मनोरोगियों के लिए काम कर रहे हैं।

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खबर मिलते ही वकील संजय शर्मा बुजुर्ग बैजनाथ को छुड़ाने और उन्हें मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराने के लिए इस 21 जुलाई को उनके घर गए।

वहां जाकर शर्मा ने वृद्ध के परिजनों से उन्हें बेड़ियों से मुक्त करने को कहा,लेकिन उनके बेटे ने इस बात से साफ इंकार कर दिया। देवीदीन ने कहा कि, यदि पिताजी को खुला रखा गया तो वह फिर लोगों को मारने लगेंगे। वह 10-12 लोगों के पकड़ने में भी नहीं आते हैं।

इस संदर्भ में बता दें कि आज से 22 साल पहले एक बार गांव के ही किसी परिवार से उनके परिवार की किसी बात को लेकर लड़ाई हो गई थी। जिससे क्रोधित होकर बैजनाथ मौका मिलते ही उस परिवार पर हमला बोल देते थे।

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पिता की इस आदत से त्रस्त आकर उनके बेटे ने उन्हें जंजीरों में बांधकर रखने में ही सबकी भलाई समझी।

इधर लाख आश्वासन देने के बावजूद पीड़ित का बेटा उन्हें आजाद करने पर राजी नहीं हुआ। उनका कहना था कि, हम बहुत गरीब है और हम इनका इलाज नहीं करा सकते हैं।

छतरपुर के कलेक्टर रमेश भंडारी का कहना है कि, पीड़ित को मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराने के लिए सबसे पहले डॉक्टर का प्रमाणपत्र चाहिए। प्रमाणपत्र बनने के बाद बुजुर्ग को ग्वालियर के मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करा दिया जाएगा।

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