नहीं हुआ कोई घोटाला! 2G केस में राजा-कनिमोझी समेत सभी आरोपी बरी

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटालेनई दिल्ली। 2G घोटाले में स्पेशल CBI कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। अदालत ने राजा-कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी वकील आरोप साबित नहीं कर पाए। जज ओपी सैनी ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।

इस दौरान कनिमोझी और ए राजा के समर्थक कोर्ट में मौजूद रहे। फैसला आते ही कोर्ट में तालियां बज उठी।

यूपीए-2 के कार्यकाल में हुए इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, द्रमुक राज्यसभा सदस्य कनिमोझी, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह, यूनिटेक लिमिटेड, डीबी रीयल्टी व अन्य पर आरोप थे। 2011 में इस मामले में सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की थी।

गौरतलब है कि, सीबीआई द्वारा पहला आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के बाद 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई छह साल पहले शुरू हुई थी।

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बता दें कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक था। सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज अलग-अलग मामलों में स्पेशल सीबीआई के जज ओपी सैनी ने इस पर फैसला सुनाया।

इस घोटाले ने मनमोहन सिंह की सरकार को बुरी तरह हिला कर रख दिया था। कोर्ट ने इस घोटाले से जुड़े सभी आरोपियों को फैसला सुनाए जाते वक्त मौजूद रहने का आदेश दिया था।

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क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला?

2010 में आई एक सीएजी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर इसे बांटा गया था। इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसमें इस बात का जिक्र था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने को कहा था।

2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी। इस घोटाले से जुड़े केस में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ भी आरोपी थे।

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