दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत के खिलाफ एक हुए जानी दुश्मन, मिलकर लगाएंगे मोदी पर ब्रेक !

चीनी मीडियानई दिल्‍ली। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा को मिली जीत की चर्चा चीनी मीडिया में भी हो रही है। चीन के अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक, भाजपा को इतनी बड़ी जीत मिलने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थिति मजबूत हुई है और इसका फायदा भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होगा। ग्लोबल टाइम्स चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का अखबार है,  जिसका फोकस विदेशी मामलों पर होता है।

वहीं भारत के संदर्भ में अमेरिकी शीर्ष विशेषज्ञों पहले ही मोदी का गुणगान कर चुके हैं। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत और पांच में से चार राज्‍यों में सरकार बनने के बाद वर्ष 2019 के आम चुनावों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के एक पसंदीदा नेतृत्वकर्ता के तौर स्‍थापित रहेंगे।

अमेरिका और चीन की मोदी पर प्रतिक्रया आने के बाद भारत के विशेषज्ञों ने इसके दूसरे पहलू पर मंथन शुरू कर दिया है कि अब अंतरराष्‍ट्रीय मसलों पर दोनों देश सामूहिक रूप से एक साथ खड़े दिख सकते हैं।

गुरुवार को चीनी अखबार में छपे एक लेख में कहा गया कि भाजपा की जीत का मतलब है कि अब अंतरराष्ट्रीय विवादों में भारत के साथ किसी तरह का समझौता करने में ज्यादा परेशानी पेश आएगी। अखबार ने लिखा,  भारत के आंतरिक मामलों और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर PM  मोदी का सख्त बर्ताव भाजपा को मिली जीत के कारण और कठोर होता जाएगा।

इस लेख में अनुमान जताया गया कि भारत में होने वाले 2019 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को ही जीत मिलेगी। वहीं अमेरिका पहले ही मोदी और भारत का गुणगान कर चुका है।

चीनी अखबार ने लिखा है कि मोदी ने भारत-चीन सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के साथ भारत के सबसे बड़े त्योहार दीवाली को मनाकर इस सीमा विवाद पर अपने सख्त रुख का परिचय दिया।

सीमा विवाद के हल की उम्मीद

लेख में आगे कहा गया कि PM मोदी ने अमरीका और जापान के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत किया। उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को फिर से संतुलित करने की अमरीकी नीति को समर्थन दिया। दक्षिणी चीन सागर विवाद पर भी उन्होंने अमरीका के पक्ष का समर्थन किया।

इसके साथ ही BJP और मोदी को हाईलाइनर्स बताते हुए इस लेख में कहा गया कि जमीन पर ये हार्डलाइनर्स भले ही लचीले ना दिखें,  लेकिन एक बार जब ये अपना मन बना लेते हैं,  तो अपनी योग्यता और काबिलियत के बूते किसी मुद्दे पर समझौता करने में भी दृढ़ता दिखाते हैं।

हमें उम्मीद है कि मोदी के कार्यकाल में सीमा विवाद सहित तमाम आपसी मतभेदों को सुलझाया जा सकता है,  बशर्ते दोनों पक्ष इसके लिए राजी हों।

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