निपाह वायरस से केरल में 12 साल के एक लड़के की हुई मौत, आप भी हो जाएं सावधान, पढ़ें पूरी ख़बर

केरल के कोझिकोड (कोषिक्कोड) में रविवार (7 नवंबर) को निपाह वायरस से संक्रमित 12 साल के एक लड़के की मौत हो गई। दो और लोगों में निपाह वायरस से संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं। सबसे पहले केरल में मई, 2018 में निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी, जिसकी वजह से 17 लोगों की मौत हो गई थी। इस बार केरल में केंद्र सरकार ने निपाह संक्रमण के मामले की पुष्टि होने के तुरंत बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहयोग मुहैया कराने के लिए नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक टीम फ़ौरन रवाना कर दी है।

स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों के मुताबिक इस बार हालात नियंत्रण में हैं और प्रशासन प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि, “बच्चे के साथ संपर्क में आए 188 लोगों में से 20 ज़्यादा जोख़िम वाली स्थिति में हैं। जिन दो लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखाई दिए हैं, वे इन्हीं 20 लोगों में शामिल हैं। चिंता करने की कोई बात नहीं है, स्वास्थ्य विभाग हालात पर क़रीबी से नज़र रखे हुए है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़, ‘निपाह वायरस (NiV) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है।’ 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में सबसे पहले NiV के बारे में पता चला था। वहीं से इस वायरस को ये नाम दिया गया। उस वक़्त यह बीमारी सूअरों द्वारा फैली थी।

इसके बाद जहाँ-जहाँ NiV की पुश्टि हुई, वहाँ इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे। साल 2004 में बांग्लादेश में खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखने का बाद कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है। भारत के अस्पतालों में इस वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि हुई।

इंसानों या जानवरों में इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है। सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, ‘निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है। 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द की वजह बन सकता है।’

इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है, जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं। ये लक्षण 24 से 48 घंटों में मरीज़ को कोमा में पहुंचा सकते हैं। साल 1998-99 में इस वायरस की चपेट में आए 265 लोग में क़रीब 40% मरीज़ ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई और उनकी मौत हो गई। आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है।

यह भी पढ़ें – कोरोना वायरस के बाद अब आया नोरोवायरस! क्या है इसके लक्षण और क्या है इसका बचाव, पढ़ें पूरी ख़बर

LIVE TV