10 फीसदी आरक्षण का फैसला सुप्रीम कोर्ट के हाथ, 8 अप्रैल को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने वृहस्पतिवार को कहा कि सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी 103वें संविधान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद की नियुक्तियां उसके फैसले पर निर्भर करेगा।

Supreme-Court

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी तब की जब इस संशोधन विधेयक को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि रेलवे ने बड़े पैमाने पर नियुक्तियां निकाली है।

मालूम हो कि 103 संविधान संशोधन विधेयक को वैधता को एनजीओ जनहित अभियान और यूथ फॉर इक्वालिटी केअलावा 20 से अधिक लोग व संगठन ने चुनौती दी है।

पीठ ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए आठ अप्रैल को सुनवाई करेगा। वास्तव में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मसले पर अटॉर्नी जनरल पक्ष रखना चाहते हैं लेकिन वह फिलहाल संविधान पीठ में व्यस्त हैं।

सुनवाई के दौरान धवन ने कहा कि सवाल यह है क्या महज अधिसूचना के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देना प्रभावी हो जाएगा जबकि सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय पीठ ने इंद्रा साहनी मामले में खासतौर पर इस पर रोक लगाई थी।

उन्होंने कहा कि मामला अदालत में लंबित है बावजूद इसके रेलवे ने इस अधिसूचना के तहत नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

बीजेपी विधायक पर गिरी चुनाव आयोग की गाज,आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में भेजा जेल

धवन ने कहा कि अदालत को इस पर विचार करना चाहिए कि इस मसले को संविधान पीठ केपास भेजा जाना चाहिए या नहीं क्योंकि यह संशोधन अधिनियम संविधान के मूल ढांचे पर चोट है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मसले पर जल्द सुनवाई की जानी चाहिए।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 10 फीसदी आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मसले पर शुरू की गई कार्यवाही पर रोक  लगा दी है।

वास्तव में केंद्र सरकार ने आवेदन दाखिल कर इस पर रोक लगाने की गुहार की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा इस संबंध में दायर ट्रांसफर याचिका पर नोटिस भी जारी किया है।

LIVE TV