जिसका एक दाना चुराने पर मिलती है सजा ए मौत, अब उसकी खेती करेगा भारत

हींग की खेतीनई दिल्ली। हमारे देश में मसालों से लेकर दवाइयों तक में हींग का इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया भर में भारत हींग के इस्तेमाल में पहले नंबर पर आता है। लेकिन आप को जान कर हैरानी होगी कि हमारी रसोई की पहचान बन चुकी हींग का उत्पादन भारत में नहीं होता। हर साल हमारा देश हींग के आयात पर करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा बर्बाद करता है। इस स्तिथि से निपटने के लिए इंडियन कॉफी बोर्ड के सदस्य डॉ. विक्रम शर्मा ने अपनी ओर से पहल की है।

हींग की खेती-

डॉ. शर्मा ने बताया कि, उन्होंने हाल ही में ईरान से हींग के बीज मंगाए हैं। हींग का पौधा जीरो से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहन कर सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के पास पहाड़ी इलाकों में हींग की खेती की शुरुआत की जाएगी।

डॉ. शर्मा ने यह भी बताया कि, वह उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल से सटे यूपी के पहाड़ी इलाके में भी हींग उगाना चाहते हैं। उनका कहना है कि इस समय शुद्ध हींग का बाजार मूल्य 35 हजार रुपये किलो है। अगर भारत के किसान इसकी खेती करने लगें तो उनको काफी मुनाफा हो सकता है, क्योंकि देश में हींग की मांग बहुत ज्यादा है और उत्पादन जीरो।

क्या है हींग उगाने की मुश्किल-

दुनिया में हींग की खेती मुख्य रूप से अफगानिस्तान, ईरान, इराक, तुर्कमेनिस्तान और बलूचिस्तान में होती है। वहां हींग का बीज किसी विदेशी को बेचने पर मौत की सजा तक सुनाई जा सकती है। डॉ. शर्मा कहते हैं कि उन्होंने रिसर्च के लिए बड़ी मुश्किल से इसका बीज ईरान से मंगाया है। जिन्हें वो अलग-अलग जगहों पर उगाएंगे।

हालांकि आखिरी बार 2012 में जम्मू-कश्मीर के डॉ. गुलजार ने अपने राज्य में हींग की खेती करने की कोशिश की थी पर वो विफल रहे थे।

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