हाथी के हमले में मृतकों को मातृ सदन ने एक करोड़ रुपये मुआवजा की मांग

संजय पुंडीर
हरिद्वार

मातृ सदन ने हाथी के हमले में मृतकों को एक करोड़ रुपये मुआवजा दिए जाने की माँग की हैं। वहीं प्रशासन को दी चेतावनी हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोके और बिना नुकसान पहुंचाए नहीं तो जाएंगे कोर्ट।

 

 

 

गँगा की निर्मलता और अविरलता के लिए काम करने वाली संस्था ने जंगली हाथियों के हमले में हुई ग्रामीणों की मौत के लिए जिला प्रशासन और खनन माफियाओं को जिम्मेदार ठहराया है मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने दोनों मृतकों को एक एक करोड़ रुपये मुआवजा दिए जाने की माँग की है और इस मुआवजे की वसूली जिला प्रशासन, वन विभाग और खनन माफियाओं से कराए जाने की बात कही है साथ ही उन्होंने हाथियों को न मारने की अपील की और चेतावनी दी है कि यदि वन विभाग और ग्रामीण हाथियों को मारने का प्रयास करेंगे तो मातृ सदन उसके खिलाफ कोर्ट जाएगा।

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दो दिन पूर्व हरिद्वार वन विभाग से सटे गाँवों में जंगली हाथियों के झुंड ने दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया था हरिद्वार की धार्मिक संस्था मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने इन मौतों के लिए जिला प्रशासन और खनन माफियाओं को जिम्मेदार ठहराया है स्वामी शिवानंद ने कहा कि जंगली हाथियों के टापूओं को जिला प्रशासन की मिली भगत से खनन माफियाओं ने खत्म कर दिया है, इन टापुओं पर हाथियों का चारा हुआ करता था।

 

अब इन टापूओं पर चारा न मिलने से हाथी आबादी का रुख कर रहे है स्वामी शिवानंद ने मृतकों के लिए एक करोड़ रुपये मुआवजे की माँग की है और इस एक करोड़ रुपये की वसूली जिला प्रशासन, वन विभाग और खनन माफियाओ से की जाने की बात कही वही स्वामी शिवानंद ने जंगली हाथियों को न मारने की अपील भी की उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि वन विभाग या कोई भी ग्रामीण हाथियों की हत्या करने का प्रयास भी करेगा तो मातृ सदन उसके खिलाफ कोर्ट जाएगा।

हाथियों ने हरिद्वार में आबादी वाले क्षेत्रों में आतंक मचाया हुआ है और हर रोज पार्क क्षेत्र से निकलकर हाथी आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं हाथियों द्वारा 2 लोगों को मौत के घाट भी उतार दिया गया मगर वन प्रभाग इन हाथियों को आबादी वाले क्षेत्र में आने से रोकने में नाकाम साबित हो रहा है अब मातृ सदन द्वारा मृतकों के लिए एक करोड़ की मांग की गई है और साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि हाथियों को आबादी वाले क्षेत्र में आने से वन प्रभाग रोके और किसी भी प्रकार से हाथियों को नुकसान ना पहुंचाया जाए अगर ऐसा नहीं होता है तो मातृ सदन कोर्ट का रुख करेगा।

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