स्वास्थ्य की खबरें लिखने वालों के लिए यूनिसेफ ने लांच किया ऑनलाइन कोर्स

नई दिल्ली: यूनिसेफ ने स्वास्थ्य पर लिखने वाले पत्रकारों के लिए ‘क्रिटिकल अप्रेजल स्किल्स’ (सीएएस) का ऑनलाइन कोर्स लांच किया। इस कोर्स की संकल्पना थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन, भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी)और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से की गई है।

ऑनलाइन कोर्स

इसका उद्देश्य मीडिया प्रतिनिधियों की तथ्यात्मक व बिना सनसनीखेज रिपोर्ट तैयार करने वाली क्षमताओं को बढ़ाना है। साक्ष्य दिखाते हैं कि बढ़िया शोध आधारित समाचार स्टोरी नियमित टीकाकरण कार्यक्रम समेत जन स्वास्थ्य पहल में भ्रांतियों व भय को भगाने में मदद करता है और सक्रिय जनभागीदारी को भी सुनिश्चित करती है।

आईआईएमसी के महानिदेशक के. जी. सुरेश ने कोर्स के ऑनलाइस संस्करण लांच के मौके पर कहा, “कोर्स से पत्रकारिता के छात्रों में कौशल व क्षमताओं में विशिष्टता हासिल होती है और स्वास्थ्य संबधित सूचनाओं के विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है। इससे रिपोर्टिग की सटीकता में भी सुधार होता है।”

उन्होंने कहा, “भारत का टीकाकरण कार्यक्रम लाभार्थियों की संख्या और इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन की मात्रा की दृष्टि से दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक है। सालाना लक्ष्य करीब 2.6 करोड़ नवजातों के टीकाकरण का होता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए देशभर में 90 लाख टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं। इसके बावजूद भारत में केवल 62 प्रतिशत बच्चे ही अपनी जिंदगी के पहले वर्ष में पूर्ण टीकाकरण ले पाते हैं।”

थॉमसन रायटर्स फाडडेंशन में पत्रकारिता व मीडिया प्रोग्राम के निदेशक निकोलस बैलट ने कहा, “संवाद को गढ़ने में मीडिया एक अनिवार्य भूमिका निभाता है और हम पत्रकारों की नई पीढ़ी को यह मुद्दा उठाने और सामाजिक व आर्थिक विकास के मुददों पर रोशनी डालने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद करते हैं।”

भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि डॉ. यामिनी अली हक ने इस मौके पर कहा, “मीडिया हमारा मुख्य सहभागी है। यह कोर्स देशभर के स्वास्थ्य पत्रकारों के लिए अपनी रिपोर्टिग में साक्ष्य के अलोचनात्मक आयाम को जोड़ने का एक अवसर होगा। भारत सरकार के साथ-साथ अनेक सहभागियों का भी हमें समर्थन मिला। परिणामस्वरूप बीते 6 सालों में टीकाकरण कवरेज में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”

मुफ्त ऑनलाइन कोर्स यूनिसेफ के “हरेक बच्चा, जीवित” अभियान के तहत लांच किया गया है जिसका उद्देश्य नवजात मृत्यु दर को कम करना है।

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