स्टील की कमी के कारण कारों पर वेटिंग बढ़ सकती है डिमांड के बावजूद कंपनियों ने प्रोडक्शन 20% तक घटाया

अगर आप कार खरीदने जा रहे हैं तो आपको डिलीवरी में लंबी वेटिंग मिल सकती है। वजह यह है कि कार कंपनियों ने जनवरी से मार्च के लिए अपना प्रोडक्शन टार्गेट घटा दिया है। दिसंबर में कारों की बिक्री 24% बढ़ी थी। यानी मांग होने के बावजूद कंपनियों को प्रोडक्शन घटाना पड़ रहा है। महिंद्रा, हुंडई और निसान की कारों पर 10 महीने तक की वेटिंग पहले ही चल रही है।

जनवरी से मार्च तक 1.5 लाख कम गाड़ियां बनेंगी
दरअसल, कार बनाने वाली कंपनियों को डिमांड के मुताबिक स्टील नहीं मिल रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी-मार्च तिमाही के लिए कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन शेड्यूल 15-20% तक घटा दिया है। यानी इस दौरान करीब 1.5 लाख कम गाड़ियां बनेंगी। कुछ कंपनियों ने तो अपने प्लांट में शिफ्ट टाइमिंग घटा दिया है। प्रोडक्शन में कमी के चलते डीलर्स के पास हफ्ते-दस दिन का ही स्टॉक बच गया है, जो अब तक का सबसे कम है।

डिमांड की तुलना में 60% से 70% स्टील ही मिल रहा है
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने स्टील मंत्रालय को एक नोट भेजा है। इसमें कहा गया है कि स्टील कंपनियां 60% से 70% ऑर्डर ही पूरा कर रही हैं। इसलिए आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। इंडस्ट्री बॉडी का दावा है कि फिनिश्ड स्टील का ज्यादा निर्यात भी इसकी एक वजह है।

सेमीकंडक्टर्स की कमी भी बड़ी वजह
महिंद्रा एंड महिंद्रा और कंपोनेंट निर्माता बॉश ने सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण 2021 की पहली छमाही में कम प्रोडक्शन की बात कही है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ पैसेंजर व्हीकल पर ही इसका असर पड़ रहा है, टू-व्हीलर और कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट भी इससे प्रभावित है।

एक साल में 60% तक महंगा हो चुका है स्टील
घरेलू स्टील की कीमतें एक साल में 60% तक बढ़कर 57,250 रुपए प्रति टन पर पहुंच गई हैं। 1 जनवरी 2020 को घरेलू स्टील की कीमत 37,500 हजार रुपए प्रति टन के आसपास थी। अक्टूबर से दाम ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। स्टील महंगा होने के कारण हुंडई, महिंद्रा के अलावा टू-व्हीलर बनाने वाली कई कंपनियां भी जनवरी में दाम बढ़ा चुकी हैं।

स्टील कंजंप्शन में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 15-17%
भारत के कुल स्टील कंजंप्शन में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 15-17% है। फ्लैट स्टील कुल स्टील प्रोडक्शन का लगभग आधा हिस्सा है, और इसका लगभग एक तिहाई ऑटो सेक्टर में खपत होता है। गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले मेटल की कीमत कुल कीमत का 15-45% होती है।

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