मोदी ने भारत को बना ही दिया बब्बर शेर, चीन और पाक की बंध गयी घिग्घी, चूं तक नहीं कर पाएंगे

सौ बार सोचेने को मजबूरनई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के इस कारनामे के बाद कोई भी दुश्मन देश भारत की तरफ आंख उठाकर देखने से पहले सौ बार सोचेने को मजबूर होगा। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2012 से 2016 के बीच दुनिया भर में खरीदे गये कुल हथियारों का सर्वाधिक 17 प्रतिशत अकेले भारत ने खरीदा है। संस्था की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दुनिया में हथियारों को खरीदने की प्रतिस्पर्धा पिछले पांच सालों में 27 सालों के सर्वाधिक स्तर पर पहुंच चुकी है।

रिपोर्ट के अनुसार हथियार खरीदने के मामेल में पहला स्थान भारत का है उसके बाद सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, चीन और अल्जीरिया का स्थान है। भारत ने साल 2007 से 2011 के बीच दुनिया के कुल हथियारों की बिक्री के 9.7 प्रतिशत हथियार खरीदे थे जो कि दुनिया के सभी देशों में सबसे अधिक हैं।

इस सूची में दूसरे नंबर पर मौजूद सऊदी अरब ने साल 2012 से 2016 के बीच पिछले पांच सालों की तुलना में 212 प्रतिशत ज्यादा हथियारों का आयात किया था। जो कि हथियारों की कुल बिक्री का 8.2 प्रतिशत था। हालांकि रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों पर भरोसा जताने का परिणाम सकारात्मक हो सकता है। जबकि मोदी के मेक इन इंडिया के तहत यह कार्य संभव नहीं है।

रक्षा सौदे के विशेषज्ञ इयान मॉर्लो ने बताया कि भारत, वियतनाम और सऊदी अरब जैसे देशों के साथ काफी तेजी के साथ रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है। वहीं भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने भी सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए 167 लाख करोड़ रुपये (250 अरब डॉलर) खर्च करने का इरादा जताया है।

मॉर्लो का कहना है कि भारत आयातित हथियारों पर निर्भर नहीं रहना चाहता है। रक्षा क्षेत्र के लिए रूस, अमेरिका और इसराइल भारत के सबसे बड़े बाजार है। वहीं भारत का कट्टर प्रतिद्वंदी और धुरविरोधी चीन हथियारों के मामले में अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने में अग्रसर है। जिसके कारण हथियारों की खरीदारी के मामले में चीन की हिस्सेदारी पिछले पांच सालों में काफी तेजी से घटी है।

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