सोन नदी में तैयार हो रही मौत की रेखा !

exclusiveचोपन ( सोनभद्र ) राम सेतु की तरह ही सोननदी पर स्थाई हो चुकी है ठेकेदारो द्वारा निर्मित अस्थाई पुल । राम सेतु पुल में जहाँ राम – नाम के पत्थरो के पानी में तैरने की बाते चरितार्थ है । वही जनपद सोनभद्र के चोपन में स्थित सोन नदी में भी ठेकेदारों द्वारा अपने नाम की भारी भरकम हयूम पाइप को डालकर एक नए सेतु रचियता बनने की राह पर अग्रसर है ।
बताते चले कि मध्य प्रदेश में स्थित आद्योगिक कम्पनियो को जाने वाली भारी भरकम मशीनों को पार कराने के लिए नियम , कायदे-कानून , शर्तों व मानक को दरकिनार करते हुए सोननदी को दोनों किनारो को उत्तरी एवम् दक्षिणी छोर को बांध दिया गया है । जिससे की पूरी सोननदी की धारा ही प्रभावित हो जाती है व सोननदी चोपन क्षेत्र में सिकुड़ कर नाले में परिवर्तित हो चुकी है ।

स्थानीय लोगो का कहना है इस तरह अस्थाई पुल के नाम पर ठेकेदार द्वारा दूरगामी लाभ के दृष्टिकोण से अस्थाई पुल बनाकर छोड़ दिया जाता है । जिससे एक ओर जहाँ नदियों की पारिस्थितिक तन्त्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है वही नदियों के अस्तित्व खोने से लेकर जलीय जीवों व उनका प्रजनन भी प्रभावित होता है और तटीय क्षेत्रो में बाढ़ और कटाव का खतरा भी बढ़ जाता है । इस पुर प्रकरण पर बुद्धिजीवियों से लेकर समाजसेवी प्राकृतिक प्रेमियों और आमजनमानस में आक्रोश को देखा जा सकता है । स्थानीय लोगो ने सोननदी पर पूर्व में अस्थाई पुल और वर्तमान में बन रहे अस्थाई पुल में मानक और शर्तों में हो रहे भारी पैमाने में अनियमितता को लेकर माननीय जिलाधिकारी महोदय का ध्यान आकृष्ट कराते हुए आवश्यक कार्यवाही माँग की है ।
इस पुरे प्रकरण पर लोगो की राय और विचार :-

(1) इलाहबाद हाईकोर्ट के वरिष्ट एडवोकेट श्री विजय नन्द सिंह ने बताया की राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एन.जी.टी.) के अदेशानुसार नदियों में अस्थाई पुल बनाने कि स्वीकृति के लिए केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय या संबंधित राज्य के पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण से इजाजत लेना जरूरी है । और साथ अस्थाई पुल के निर्माण से लेकर उसके सारे अवशेषो को हटाये जाने के शर्तों का पालन करना भी अनिवार्य है । आगे श्री सिंह ने बताया की अगर अस्थाई पुल के मनको और शर्तों की अनदेखी पर सम्बंधित अधिकारी कार्यवाही नही करते तो उक्त प्रकरण पर एक पीआईएल दाखिल कराई जा सकती है ।

(2) पूर्वांचल मानवाधिकार मिशन के प्रभारी संजीव कुमार सिंह ने बताया कि सोननदी में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया में अस्थाई पुल के लिए अगर एनओसी जारी की भी गई है तो उसकी भी जाँच कराई जायेगी साथ ही नदियों और नदियों के जलधाराओं और उसमे निवास करने वाले जीवो का अस्तित्व जब उक्त ठेकेदारो के कृत्य से संकट में पड़ रहा है तो इसके लिए मानवाधिकार मिशन उ.प्र. द्वारा जिले से लेकर लखनऊ में बैठे आलाधिकारियों से पुरे प्रकरण पर जाँच कर उचित कार्यवाही की मांग करेगी ।और कार्यवाही न होने की स्थिति में आंदोलन को बाध्य होगी ।

(3) भारतीय छात्र उत्थान संघ के अध्यक्ष विजय शंकर यादव ने पुरे प्रकरण पर कहा कि इस तरह वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया में जब ठेकेदारों द्वारा भारी रकम हासिल करने के लिए संदिग्ध एनओसी कराकर भारी पैमानों पर मानकों की अनदेखी की जाती रहेगी तो जंगली जीवों का शहरों की ओर पलायन करना और उनका अस्तित्व विलुप्ति की कगार पर पहुचना कोई आमबात नही रह जायेगी । आगे इन्होंने कहा कि एक ओर जहाँ नदियो को बचाने के लिए ड्रीम पोजेक्ट पर करोड़ो रूपये खर्च हो रहे है वही आद्योगिक कम्पनियो के निजी फायदे के लिए सोननदी की जलधारा को पूर्णरूप से अवरुद्ध कर ठेकेदार प्रदेशवासियों को क्या मैसेज देना चाहते है ? अन्त में उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही ठेकेदारों को संविधान की धज्जिया उड़ाने के लिए छूट दी जाती रहेगी तो वह दिन दूर नही रहेगा जब जलीय जीव पूरी तरह समाप्त हो जायेंगे और नदियो की पारिस्थितिक प्रणाली बिगड़ने के साथ अस्थाई पुल के समीप नहाने वाले बच्चो डूब जाने का सिलशिला जारी न हो जाये ।

(3) स्थानीय नगर के अशोक मद्देशिया ने कहा कि पूर्व में जहां सोननदी में जलधारा निर्बाध रूप से बहती थी । आज नदियों की जलधारा पर ठेकेदारो द्वारा कड़ा प्रहार कर नदियों के अस्तित्व को संकट में डाल दिया गया है । आगे इन्होंने बताया कि आने वाले तहसील दिवस पर एक शिकायती पत्र के माध्यम से उचित कार्यवाही किये जाने की माँग की जायेगी ।

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