बेहद भयानक है भारतीय सेना से जुड़ा ये सच, पीएम मोदी के भी उड़ जाएंगे होश, हिंदू हों या मुस्लिम सबको लगेगा…

सैन्य अड्डों और सुरक्षा बलोंनई दिल्ली। देश में सैन्य अड्डों और सुरक्षा बलों पर बाहर से आए आतंकवादियों और अंदरूनी चरमपंथियों के हमलों का सिलसिला लगातार जारी है और इसके साथ ही देश में सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा-व्यवस्था को चाक-चौबंद करने की बहस भी तेज हो गई है। पिछले वर्ष पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के बाद गठित समिति द्वारा सैन्य अड्डों की सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाए जाने की सिफारिश की थी, लेकिन इस दिशा में एक कदम भी नहीं बढ़ाया जा सका है, क्योंकि अब तक सरकार ने इसके लिए अनुदान जारी नहीं किया है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फिलिप कम्पोज के अधीन गठित समिति द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि देश के सैन्यअड्डों की सुरक्षा-व्यवस्था चाक-चौबंद करने के लिए दो वर्ष में 2,000 करोड़ रुपयों की जरूरत पड़ेगी।

सिफारिश में बताई गई राशि का आधा हिस्सा यानी 1,000 करोड़ रुपये इस वर्ष जारी किए जाने की उम्मीद है। हालांकि अब तक रक्षा मंत्रालय ने इस मद में कोई राशि जारी नहीं की है।

भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया, “अधिकतर सैन्य शिविरों की बाहरी सुरक्षा बहुत ही प्राथमिक स्तर की है। परिसर के बाहरी हिस्से में बाड़ लगाए जाते हैं और बाड़ से लगाकर टिन की चादरें रखी जाती हैं, ताकि किसी भी तरह की हलचल होने पर आवाज हो और सुरक्षा बल सतर्क हो जाएं। इस तरह के बाड़ बहुत ही प्राथमिक किस्म के सुरक्षा इंतजाम हैं, जो पर्याप्त सुरक्षा करने में असमर्थ हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों में।”

उन्होंने कहा, “यहां तक रोशनी की व्यवस्था भी बहुत ही प्राथमिक स्तर की है। इसके अलावा अधिकतर सैन्य शिविरों के आस-पास काफी घना वन क्षेत्र है, जिसकी वजह से आतंकवादियों को छिपने में आसानी होती है।”

बीते महीने की 27 तारीख को आतंकवादियों का निशाना बने कुपवाड़ा जिले में स्थित पंजगाम सैन्य शिविर के चारों ओर दोहरी बाड़ लगी हुई है, जिसे आतंकवादी भेदने में सफल रहे थे। इस हमले में भारतीय सेना के तीन जवानों की मौत हो गई थी और सात जवान घायल हुए थे, जबकि सिर्फ दो आतंकवादी मारे जा सके थे।

पठानकोट वायुसेना अड्डे पर दो जनवरी, 2016 को आतंकवादी हमला हुआ था। सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच चार दिन मुठभेड़ चली थी। पठानकोट हमले में सात सुरक्षाकर्मी और एक नागरिक की मौत हुई थी, जबकि 37 जवान और एक नागरिक घायल हुए थे। हमले में शामिल पाकिस्तान के चारों आतंकवादियों को मार गिराया गया था।

कंपोज समिति, जिसमें भारतीय सेना के तीन अधिकारियों और वायुसेना तथा नौसेना से एक-एक अधिकारी को शामिल किया गया था, का गठन आठ फरवरी, 2016 को किया गया था। समिति ने 20 मई, 2016 को अपनी रपट सौंप दी थी। समिति द्वारा सैन्य शिविरों की सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाए जाने से संबंधित सिफारिशें सभी सैन्य प्रतिष्ठानों को भेज दी गई थीं।

समिति की सिफारिशें आने के बाद रक्षा प्रतिष्ठानों के सुरक्षा इंतजाम के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अपनाया गया और जोखिम के स्तर के आधार पर रक्षा प्रतिष्ठानों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया।

सूत्रों के अनुसार, सर्वाधिक जोखिम वाले सैन्य प्रतिष्ठानों को सीएटी ए श्रेणी में रखा गया है और ऐसे 600 सैन्य प्रतिष्ठानों की पहचान की गई है। दूसरी सीएटी बी और तीसरी सीएटी सी श्रेणियों में एक-एक हजार सैन्य प्रतिष्ठान हैं, जबकि 200 सैन्य प्रतिष्ठान सीएटी डी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

समिति ने सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए अल्प, मध्यम और दीर्घकालिक तीन तरह की सिफारिशें की हैं। अल्पकालिक उपाय में बाहरी क्षेत्र की सुरक्षा और बाड़ों को मजबूत कर सैन्य अड्डा परिसर में प्रवेश को दुर्भेद्य बनाए जाने के अलावा अच्छी प्रकाश व्यवस्था, सचेत प्रणाली और निगरानी कैमरे लगाए जाने की बात कही गई है।

वहीं दीर्घकालिक उपायों में प्रौद्योगिकी आधारित सुरक्षा ढांचा तैयार करने, बेहद प्रशिक्षित, अधिक जोखिम वाले और प्राथमिकता वाले सैन्य अड्डों पर सश और अत्याधुनिक हथियारों से लैस त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) की तैनाती और अन्य सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा-व्यवस्था की नियमित जांच करवाए जाने की सिफारिश की गई।

दीर्घकालिक उपायों में अत्यधिक जोखिम वाले सैन्य अड्डों के चारों ओर चारदीवारी निर्मित करने और चरणबद्ध तरीके से अत्याधुनिक सुरक्षा ढांचा स्थापित करने की सिफारिशें भी की गईं, जिनके लिए अतिरिक्त धनराशि की जरूरत है।

सूत्रों ने बताया कि अल्पकालिक उपायों को अपनाने के लिए सेना को अपनी जेब से खर्च करना होगा और अब तक इन उपायों पर 300 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं।

हालांकि रक्षा मंत्रालय ने अब तक कोई राशि जारी नहीं की है।

अधिकारी ने बताया, “केंद्र सरकार ने सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा अवसंरचना विकसित करने के लिए अब तक कोई राशि नहीं भेजी है। सेना अपनी निधि का उपयोग कर रही है, लेकिन दीर्घकालिक उपायों को अमल में लाने पर अतिरिक्त धनराशि की जरूरत होगी।”

संसद के बीते बजट सत्र के दौरान रक्षा मामलों की एक समिति ने उड़ी, पठानकोट और अन्य सैन्य अड्डों को निशाना बनाकर किए गए हमलों के बाद कोई ठोस कदम न उठाए जाने को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया।

समिति ने रक्षा मंत्रालय द्वारा इस मामले पर गंभीरता न दिखाने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी और मंशा जताई थी कि स्थिति में सुधार हो।

सदन के उसी सत्र में रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में दिए अपने लिखित जवाब में कहा था कि रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा-व्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

लेकिन सेना के अधिकारियों का कहना है कि दिशा-निर्देश तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन उनको अमल में लाने के लिए जरूरी धनराशि कहां है?

LIVE TV