सुमित्रा ताई ने PM मोदी से की मुलाकात, इंदौर सीट पर अभी नहीं हो पाया फैसला

पार्टी सूत्रों के मुताबिक सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय दोनों की ग्रामीण-शहरी क्षेत्र में समान पकड़ है। संघ और भाजपा की दोनों वरिष्ठ नेताओं के नामों पर रजामंदी भी थी, लेकिन दोनों ही इस लोकसभा के चुनावी मैदान से हट चुके हैं।

पिछले तीन दिनों में इंदौर में प्रत्याशी के रूप में सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी और डॉ. उमाशशि शर्मा की रही है। हालांकि इस रेस में शंकर लालवानी आगे बताए जा रहे हैं।

सुमित्रा महाजन

भाजपा चाहती है कि इस सीट से किसी ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाए जिसकी इंदौर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में अच्छी पकड़ हो। इंदौर लोकसभा सीट में कुल साढ़े 23 लाख मतदाता हैं, इसमें महू शामिल नहीं है।

राऊ को शहर में मिलाया जाए तो साढ़े 17 लाख वोट शहरी मतदाताओं के हैं, वहीं 6 लाख वोट सांवेर, देपालपुर और राऊ के कुछ हिस्से के हैं। शहरी-ग्रामीण समीकरण में भाजपा को चिंता यही है कि यदि वह शहरी क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी उतारती है तो उसे इन साढ़े 6 लाख वोट की भी चिंता है।

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इंदौर सीट के लिए भाजपा में इतने नाम सामने आने के बाद अब कैलाश विजयवर्गीय और सुमित्रा महाजन दोनों ही प्रत्याशी का फैसला नेतृत्व के ऊपर छोड़ चुके हैं।

महाजन की पसंद को लेकर एक धड़ा पहले ही विधानसभा चुनाव का हवाला दे रहा है कि ‘ताई’ की पंसद के चारों उम्मीदवार चुनाव हार चुके हैं। दूसरी और विजयवर्गीय इस संबंध में पूरी तरह मौन हैं, खासकर इंदौर प्रत्याशी चयन को लेकर। उनका कहना है कि संगठन जल्द निर्णय करेगा।

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