
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में देश की नामी कंपनी टाटा को कार प्लांट लगाने के लिए दी गई जमीन का आवंटन बुधवार को रद्द कर दिया। देश की सर्वोच्च अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के अधिग्रहण को सही ठहराने वाले निर्णय को पटलते हुए फैसला सुनाया कि किसानों की कृषि योग्य जमीन को किसी कंपनी के निजी स्वार्थ के लिए देना सार्वजनिक उद्देश्य की परिधि में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट ने 12 सप्ताह के भीतर किसानों की जमीन वापस करने का राज्य सरकार को आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को जमीन वापस करने का दिया आदेश
सुप्रीम ने यह भी कहा कि जिन किसानों को सरकार की तरफ से जमीन का मुआवजा मिल चुका वे उसे वापस नहीं करेंगे क्योंकि पिछले 10 सालों से उनके पास उनकी आजीविका का कोई साधन नहीं था।
SC directs West Bengal Govt to take possession of the land & distribute to land owners within 12 weeks.
— ANI (@ANI) August 31, 2016
Very happy for this grand success after 10 long years: Kalyan Banerjee (WB lawyer) on SC verdict on Singur land deal pic.twitter.com/hXKC9DpuYZ
— ANI (@ANI) August 31, 2016
टाटा को यह जमीन नैनो कार फैक्ट्री लगाने के लिए 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली सीपीएम सरकार ने दी थी। सर्वोच्च अदालत का यह फैसला ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी के लिए बड़ी जीत के तौर पर आया है, क्योंकि उसने ही टाटा फैक्ट्री के लिए जमीन दिए जाने के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था।
This is a landmark victory after we thought of the new name for State of WB. Very happy with the decision: WB CM pic.twitter.com/4K2vUiwDnt
— ANI (@ANI) August 31, 2016
राज्य में सत्तासीन ममता बनर्जी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि निर्णय की कापी उपलब्ध होते ही राज्य सरकार की तरफ से आदेश का पालन कराया जाएगा।
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था, जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्ट सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लगता है सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह जमीन का अधिग्रहण किया, वह तमाशा और नियम-कानून को ताक पर रखकर जल्दबाजी में लिया गया फैसला था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को पलटा
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था, सरकार ने यह तय कर लिया था कि इसी प्रोजेक्ट को जमीन देनी है और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 का पूरी तरह पालन नहीं किया गया। वहीं, टाटा ने मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग की थी। वैसे हालात को देखते हुए टाटा ने नैनो प्रोजेक्ट को गुजरात में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन टाटा का यह भी कहना था कि सिंगूर की यह जमीन वह किसी और प्रोजेक्ट के लिए रखेगी।

ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में तत्कालीन लेफ्ट सरकार ने साल 2006 में टाटा की नैनो कार के लिए लगभग 1000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया था। कहा जाता है कि लेफ्ट सरकार ने कई किसानों से जमीन का जबरन अधिग्रहण किया था। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और राज्य की वर्तमान सीएम ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के खिलाफ एक अभियान चलाया था। बढ़ते हंगामे के कारण टाटा प्रमुख रतन टाटा ने अपने कारखाने को गुजरात शिफ्ट कर दिया था। उस समय गुजरात में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे।
साल 2011 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों की जमीन को वापस लौटाने के लिए जमीन पुनर्वासन व उन्नय कानून 2011 के नाम से एक कानून बनाया था। इस कानून को टाटा ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस कानून को असंवैधानिक करार दिया था।