बड़ी उम्र में शादी करना सरोगेसी का प्रमुख कारण, क्या है फायदे और नुकसान

सरोगेसी तकनीक के बारे में तो अक्सर लोगों ने सुना होता है, लेकिन सरोगेसी क्या है? सरोगेसी के क्या लाभ है? सरोगेसी प्रकिया में क्या होता है? और इसे कौन करा सकता है? आदि प्रश्नों के जवाब 80 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं होते हैं। हम आपको सरोगेसी तकनीक के बारे में बताने से पहले बॉलीवुड सेलेब्स आमिर खान, शाहरूख खान, करण जोहर और तुषार कपूर की याद दिलाना चाहेंगे। ये ऐसे सेलेब्स हैं जिन्होंने सरोगेसी के माध्यम से अपने बच्चे को जन्म दिया है।

सरोगेसी

इस तकनीक में यदि कोई कपल्स शादीशुदा है या लंबे समय से लिव इन रिलेशनशिप में है और वह पेरेंट्स बनाना चाहते हैं लेकिन किसी एक में कमी होने के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो रहा है तो वह किसी ऐसी महिला की मदद लेते हैं जो उनके बच्चे को इस दुनिया में लाने में मदद करती है। ऐसी महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है। इस प्रकिया में माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित कर दिया जाता है। फिर बच्चा जन्म लेता है।

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सरोगेसी के फायदे
यह तकनीक उन लोगों के लिए एक वरदान है जो किसी कारणवश माता पिता बनने का सुख प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
आजकल बड़ी उम्र में शादी करना मानो एक ट्रेंड बन गया है। बड़ी उम्र में गर्भवती होने से महिलाओं की बच्चेदानी कई बार सपोर्ट नहीं कर पाती है। ऐसे लोग सरोगेसी तकनीक का फायदा उठा सकते हैं।

यदि किसी कपल्स में से किसी एक पार्टनर की किसी हादसे में मौत हो जाती है तो पहले के समय में उसके बाद जीने का कोई माध्यम नहीं बचता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, ऐसे लोग सरोगेसी से अपना खुद का बच्चा प्राप्त कर सकते हैं।
जो लोग शादी नहीं करते हैं या किसी कारणवश नहीं हो पाती है वह भी बिना शादी के माता या पिता बनने का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
आम लोग ही नहीं बल्कि कई बॉलीवुड सेलेब्स भी इस तकनीक का लाभ उठा चुके हैं।

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क्या है सरोगेसी
मां बनना एक महिला को संपूर्ण होने का अहसास दिलाता है। कुछ वजहो से अगर प्राकृतिक रूप से महिलाएं मां बनने में असमर्थ है तो वो सरोगेसी की मदद लेती है। सरोगेसी का मतलब होता है किराए की कोख।

सरोगेसी मे तीन लोग शामिल होते है। मां- बाप और एक अन्य महिला को गर्भधारण करती है। इसे जेस्‍टेशनल सरोगेसी कहा जाता है। इसमें माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित कर दिया जाता है।

इसमें बच्‍चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है। शाहरूख खान और आमिर खान दोनो ने ही इस तरीके को अपनाया है। इसके अलावा ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है।

इसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है, जिसके जरिए तुषार कपूर पिता बने है। सरोगेसी की ज्यादातर जरूरत नि:संतान कपल को होती है जो या तो किसी बीमारी, आईवीएफ तकनीक के फेल हो जाने पर, बार-बार गर्भपात की स्थिति या शारीरिक असमक्षतों के चलते अपना बच्चा नहीं कर पा रहें हो।

सरोगेसी का दुरोपयोग न करें
आजकल सरोगेसी का प्रयोग एक फैशन की तरह होने लगा है। कई महिलाए लेबर पेन से बचने व कामकाज के ज्यादा व्यस्त होने के कारण अपनी संतान के लिए इसका सहारा लेनी लगी है। इसी के चलते सरोगेसी का दुरोपयोग भी होने लगा है। अन्य देशों की तुलना में भारत में ज्यादा आसान और सस्ती मानी जाती है। जहां हॉस्पिटल कपल से अच्छी कीमत वसूल कर गरीब व जरूरतमंद महिला से सस्ते में गर्भधारण करा लेते है। इन्ही कारणों के चलते देश में सरोगेसी बिल बनाने की जरूरत पड़ी। एक जानकारी के मुताबिक सरोगेसी के मामले में दुनिया में सर्वाधिक भारत में ही होते हैं। यदि पूरी दुनिया में साल में 500 सरोगेसी के मामले होते हैं तो उनमें से 300 सिर्फ भारत में होते हैं।

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क्या है सरोगेसी बिल
सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 के तहत अब बिना शादीशुदा, लिव-इऩ कपल, विदेशी और समलैंगिक जोड़े सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। सरोगेट मदर का भी आपका रिश्तेदार होना बहुत जरूरी है साथ वह महिला पहले ही मां बन चुकी हो। सरोगेसी क्लीनिक का रजिस्टर्ड होना ज़रूरी होगा। अगर क्लीनिक सरोगेट मां की उपेक्षा करता है या फिर पैदा हुए बच्चे को छोड़ने में हिस्सा लेता है तो क्लीनिक चलाने वालों पर 10 वर्ष की सज़ा और 10 लाख तक का ज़ुर्माना लग सकता है। सरोगेसी के लिए जोड़े की शादी को कम से कम पांच साल हो जाने चाहिए। जोड़े का कोई अपना बच्चा हो या फिर उन्होंने कोई बच्चा गोद ले रखा हो, तो उन्हें सरोगेसी की इजाज़त नहीं होगी। इसके लिए राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड बनेगा जिसके प्रमुख स्वास्थ्य मंत्री होंगे। इस बोर्ड के सदस्यों में दो महिला लोकसभा सांसद औऱ एक राज्यसभा महिला सांसद होगी।

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