सरकार की वायु प्रदूषण को रोकने के लिए योजनाओं को दिख रहा हैं बड़ा असर…

दूषित हवा के मामले में खतरनाक स्तर पर पहुंचे देश के शहरों में वायु प्रदूषण नियंत्रण की कार्य योजना का शुरुआती असर दिखने लगा है। जहां इस साल जनवरी में शुरू किये गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में हवा को दूषित बनाने वाले पार्टिकुलेट तत्वों सल्फर डाई ऑक्साइड (एसओ2) और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (एनओ2) के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है।


बतादें की पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इन परिणामों के आधार पर हवा में घुले दूषित तत्वों के अस्थिर स्तर वाले महानगरों (जिनकी आबादी दस लाख से अधिक है) को प्राथमिकता दी है लेकिन इन शहरों की तर्ज सभी शहरों की हवा को 2024 तक वायु प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के अनुरूप लाया जा सके।

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मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक सभी 50 शहरों में एसओ2 का स्तर हवा की गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के भीतर पाया गया, जबकि एनओ2 का स्तर 16 शहरों में घटा है, 17 शहरों में यह बढ़ा है, 16 शहरों में अस्थिर और एक शहर में यह स्थिर है। लेकिन इसी प्रकार पीएम 10 का स्तर 14 शहरों में घटा, 14 शहरों में बढ़ा और 22 शहरों में यह घटता-बढ़ता रहा हैं।

खबरों के मुताबिक मंत्रालय को पीएम 2.5 के जिन 17 शहरों के आंकड़े प्राप्त हुए हैं, उनमें से आठ शहरों में इसका स्तर बढ़ा है जबकि चार शहरों में यह घटा और पांच शहरों में यह स्तर घटता-बढ़ता रहा है। वहीं उल्लेखनीय है कि एनसीएपी के तहत शहरों के स्थानों से हवा में दूषित तत्वों की रियल टाइम आधार पर निगरानी की जा रही है।

देखा जाये तो पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना हैं की वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित 15 राज्यों के 28 महानगरों में पांच शहर उत्तर प्रदेश (कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद) के हैं।

लेकिन महाराष्ट्र के मुंबई, नवी मुंबई, नागपुर और पुणे इनमें शामिल हैं। औद्योगिक गतिविधियों की अधिकता वाले इन महानगरों में सूरत, ग्वालियर, बेंगलुरू, लुधियाना, पटियाला, कोलकाता, भिलाई और धनबाद सहित अन्य शहर शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि एनसीएपी में शामिल 102 शहरों में से 80 शहरों के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बना ली गई है और जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा। इन शहरों के स्थानीय प्रशासन को ठोस कचरा प्रबंधन, धूल, वाहन और उद्योग जनित प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर तकनीकी विशेषज्ञों के अलावा अन्य स्तरों पर मदद मुहैया करायी जाएगी।

दरअसल उल्लेखनीय है कि एनसीएपी के तहत 2024 तक शहरों में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में 20 से 30 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिये तंत्र विकसित किया गया है और 339 शहरों में 779 स्थानों पर हवा की गुणवत्ता को निरंतर मापा जा रहा है।

 

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