सरकारी सुविधाओं से अभी भी महफूज हैं शहीदों के परिजन, परिजनों में रोष व्याप्त

रिपोर्ट–दिलीप कुमार/कन्नौज

कश्मीर के पुलवामा में एक साल पहले शहीद हुये कन्नौज के सीआरपीएफ जवान प्रदीप यादव की विधवा पत्नी से किये वायदों को अधिकारी व नेता पूरी तरह भूल चुके हैं। फौजी प्रदीप के शहीद होने पर जिले के प्रशासनिक अफसरों व नेताओं ने उनके नाम पर पार्क, गांव की सड़क और एक मूर्ती लगवाने का वायदा किया था। इतना ही नही शासन ने शहीद की पत्नी को 5 बीघा जमीन देने का ऐलान किया था, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी कोई सरकारी वायदा पूरा नही हुआ है। शहीद की पत्नी नीरज देवी ने शहादत दिवस का एक साल पूरा होने पर सरकार व प्रशासन के वायदों पर सवाल उठाएं हैं।

शहीदों के परिजन

कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में यूपी के कन्नौज जिले के इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के अजान सुखसेनपुर निवासी जवान प्रदीप सिंह यादव 14 फरवरी 2019 को शहीद हो गये थे।  वह उस बटालियन में शामिल थे, जिसे आंतकियों ने निशाना बनाया था। प्रदीप सिंह यादव श्रीनगर में 115 सीआरपीएफ बटालियन में सिपाही थे।  उनके परिवार में अब पत्नी नीरज देवी और दो बेटियां 10 वर्षीय सुप्रिया यादव और ढाई साल की सोना यादव हैं। पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया था। सरकार ने शहीद के परिवार की हर तरह की मदद का ऐलान किया था। लेकिन हमारे नेता और अधिकारी वाकई शहीदों को सम्मान देने में कितने गम्भीर है आप खुद सुनिये शहीद प्रदीप की पत्नी की जुबानी।

3 फरवरी को कन्नौज के बोर्डिंग ग्राउंड में चल रहे समरसता सेवा शिविर में शहीद की विधवा नीरज देवी ने सांसद सुब्रत पाठक के सामने अपना दुखड़ा रोया था। उसका कहना है कि एक साल हो गया, लेकिन सरकार की किसी घोषणा पर कोई अमल नही हुआ। उन्होंने बताया कि अफसरों के दर पर सैकड़ों चक्कर लगा चुकी हूं, लेकिन कोई सुनवाई नही हुई है। हद तो तब हो गयी जब वह पति की शहादत दिवस पर गांव में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम करना चाहती थी, लेकिन इंदरगढ़ थानाध्यक्ष ने कार्यक्रम की इजाजत नही दी।जिसके बाद उसने जिलाधिकारी से कार्यकम की इजाजत देने की गुहार लगायी।

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शहीदों की चिता पर हर बरस लगेंगे मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। इस कविता को शायद जगदम्बा प्रसाद मिश्र हितैषी ने किसी जमाने में शहीद को दिये जाने वाले सम्मान पर लिखा होगा, लेकिन यह कविता आज के जमाने मे शहीदों की बदहाली को देखकर पूरी तरह झूठी साबित होती नजर आ रही है। देखना होगा कि शहीद प्रदीप की विधवा की कोशिशों के बाद सरकार किस तरह अपना वायदा पूरा करती है।

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