समलैंगिक एथलीट दुतीचंद से परिवार ने तोड़ा रिश्ता, बोले-‘ये अधर्म कर रही है !’

भारत की पहली सार्वजनिक तौर पर समलैंगिक एथलीट अपनी सुरक्षा को लेकर डरी हुई हैं. समलैंगिक रिश्ते के खुलासे के बाद एथलीट दुती चंद को अपने ही गांव में विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

देश की सबसे तेज स्प्रिंटर दुती चंद ओडिशा के बुनकरों के गांव चाका गोपालपुर से आती हैं. 19 मई को जब दुती चंद ने पत्रकारों के सामने खुलासा किया कि उनकी सोलमेट एक लड़की है, उसके बाद उनके लिए पलकें बिछाने वाले लोग ही उनके खिलाफ हो गए.

कभी ओडिशा का गुमनाम गांव रहा गोपालपुर को दुती चंद ने वैश्विक पटल पर पहचान दिलाई लेकिन उनके गांव के लोग उसी बेटी की वजह से शर्मसार महसूस कर रहे हैं.

दुती के गांव के प्रशांत बेहरा कहते हैं, “यह हम सबके लिए बहुत ही शर्मिंदा करने वाला है. हमने उसकी दौड़ में हमेशा उसका समर्थन किया लेकिन हम उसके इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर सकते हैं.

शादी केवल एक पुरुष और स्त्री के बीच ही हो सकती है. उसे पूरी दुनिया के सामने कभी भी इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए थी. उसे अपने खेल तक सीमित रहना चाहिए था.”

दुतीचंद का परिवार भी अपनी बेटी के फैसले पर उसके साथ नहीं है. चंद की मां अखुजी ने बताया, मैं खेल में उसकी खास रुचि को लेकर हमेशा उसे सपोर्ट करती थी लेकिन…हम पारंपरिक जुलाहे समुदाय से हैं जो हमें ऐसी चीजों की इजाजत नहीं देता है. हम अपने रिश्तेदारों और समाज का सामना कैसे करें?

दुती के पिता चक्रधर चंद ने कहा, ‘वह जो कर रही है वह अधर्म और अनैतिक है. उसने हमारे गांव के सम्मान को ठेस पहुंचाया है. मैं यकीन नहीं कर सकता, मेरी अपनी बेटी…’

23 वर्षीय दुती चंद को अपने समलैंगिक रिश्ते को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करने की हिम्मत दिखाने के लिए तारीफ भी मिल रही है. एथलीट के इस कदम को कुछ लोग भारतीय समाज के लिए क्रांतिकारी बता रहे हैं.

लेकिन इस साहसिक खुलासे के बाद दुती और उसकी पार्टनर का गांव में रहना मुश्किल हो गया है. दुती की पार्टनर ने गांव वालों की नाराजगी के बाद दूसरे कस्बे का रुख कर लिया है.

चंद ने कहा, वे मुझे एक पुरुष से शादी करने और बच्चे पैदा करने के लिए कह रहे हैं. उन्हें केवल इसी परंपरा के बारे में पता है.

लेकिन मैंने जिस शहर में पढ़ाई की, वहां हर कोई मुझे सपोर्ट कर रहा है. मुझे नहीं पता कि मेरा परिवार और गांव मेरे साथ आएगा या नहीं. मुझे ये देखने के लिए इंतजार करना होगा.

दुती ने बताया था कि वह अपने पार्टनर के साथ अपना घर बसाना चाहती थीं और अपनी निजी जिंदगी को सार्वजनिक नहीं करना चाहती थीं लेकिन उनकी बहन को इस बारे में पता चल गया था.

वह उन्हें ब्लैकमेल करने लगी थी. इसके बाद दुती ने खुद पूरी दुनिया को अपने समलैंगिक रिश्तों के बारे में बताने का फैसला कर लिया.

दुतीचंद बचपन से ही संघर्ष का जीवन जी रही हैं. एक गरीब  परिवार में जन्मीं दुती ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की. वह नदी के किनारों पर अभ्यास करती थीं और गांव की कच्ची सड़कों पर ही जॉगिंग करने जाया करती थीं.

 

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दुती ने खुलासा किया था कि उनके पिछले 3 साल से एक लड़की के साथ संबंध हैं. दुती ने कहा था, ‘जब सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 पर अपना फैसला सुनाया तब हमने फैसला किया कि अब एक साथ जिंदगी बिताने में किसी प्रकार का खतरा नहीं है. हमने निर्णय लिया कि हम शादी करेंगे और खुद का एक छोटा सा परिवार बसाएंगे.’

दुती ने अपने पार्टनर के बारे में बताया था, “वह मेरे शहर की ही है और उसे भी खेल पसंद है. उसने मेरे बारे में पढ़ा कि मुझे खेल में अपना करियर बनाने के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और मुझसे कहा कि वह मेरी कहानी से प्रेरित हुई है. इस तरह से हमारी मुलाकात हुई और हम करीब आए.

दुती कहती हैं, हम जो कर रहे हैं, वो कोई अपराध नहीं है. यह हमारी जिंदगी है और हम इसे जैसे चाहे वैसे जी सकते हैं.मैं अभी लोगों की नजरों में हूं क्योंकि मैं अपने देश के लिए खेल रही हूं, लेकिन खेल से अलग होने के बाद भी मुझे जिंदगी जीनी है.

कुछ लोग दुती चंद की सुरक्षा की चिंता कर रहे हैं. 26 मई को ओडिशा के ही एक गांव में 19 साल की एक लड़की को समलैंगिक संबंधों के लिए घर से बाहर घसीटकर एक पेड़ से बांध दिया गया और पीटा गया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब गांव वालों ने दोनों महिलाओं को एक बिस्तर में देख लिया था. एथलीट के अधिकारों के लिए काम करने वाली ऐक्टिविस्ट और दुती चंद की पूर्व सरकारी सलाहकार ने कहा, बीजेपी की वापसी के बाद समलैंगिकों समेत अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने की खबरें आ रही हैं.

हालांकि, खुले तौर पर समलैंगिक की तरह रहना खतरनाक हो सकता है लेकिन कोई लगातार परिणाम के डर में नहीं जी सकता, दुती का बाहर आना यही संदेश देता है.

भारत में जहां एक लड़की-लड़के के रिलेशनशिप पर भी त्योरियां चढ़ाई जाती हैं, वहां समलैंगिक संबंध पर बात करना ही गुनाह माना जाता है. लेकिन दुती चंद को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

वह कहती हैं, मैं वो बच्ची नहीं हूं जो अपने मां-पिता की हर बात आंख मूंदकर मान लेती हो. मैं बड़ी हो गई हूं. मैं अपना जीवन उसी के साथ बिताऊंगी जिसे मैं चाहती हूं. लेकिन मैं अपने परिवार के प्रति हर जिम्मेदारी निभाने की कोशिश करूंगी.

 

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