सदियों पहले मर चुके राजा का आज भी चलता है शासन, बात नहीं मानने पर मिलता है अभिशाप…

पुराने समय में भारत में राजा महाराजाओं की हुकूमत चला करती थी। उस राजा महाराजाओं का आदेश ही सर्वोपरि रहता था उनका एक आदेश पत्थर की लकीर हुआ करता था। भारत ऐसा देश है जहां किलों की संख्या बहुत ज्यादा है।

यहां राजा महाराजाओं के शासन के शाक्ष्य अभी भी नजर आते हैं लेकिन अब वो दौर चला गया, देश को लोकतांत्रिक हुए दशक हो गए हैं। लेकिन छत्तीसगंढ के जगदलपुर जिले एक गांव ऐसा है जहां राजा का एक आदेश का आज तक गांव वाले पालन किया जाता है तो।

सदियों पहलर मर चुके राजा का आज भी चलता है शासन

आपको सुनने में यह अजीब जरूर लगा होगा लेकिन यह सच है।वैसे तो आज के ज़माने में लोग ये सब नहीं मानते हैं। लेकिन जिस जगह के बारे हम आपको बताने जा रहे हैं वहां की कहानी कुछ अलग है।

छत्तीसगंढ के जगदलपुर जिले से 35 किलोमीटर दूर स्थित इंद्रवती नदी के किनारे बसे ‘छिदगांव’ नाम की के जगह है जहां आज भी राजा महाराजाओं के हुकूमत का अंश देखा जाता है।

असल में यहां एक शिव मंदिर है जिसमें 10वीं शताब्दी की कुछ मूर्तियां स्थापित हैं और यहां के ग्रामीण अभी इन मूर्तियों को छूते नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज से करीब 70 साल पहले उनके राजा ने इन मूर्तियों को न छूने का आदेश दिया था।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यहां राजा के आदेश की तख्ती आज भी लटकी हुई है जिसमें मूर्तियों को न छूने का आदेश अंकित है। मंदिर में पुराने शिवलिंग के अलावा भगवान नरसिंह, नटराज और माता कंकालिन की भी पुरानी मूर्तियां स्थापित हैं।

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ग्रामीणों की मानें तो अगर कोई वहां स्थापित मूर्तियों को छूता है तो उसे अभिशाप का सामना करना पड़ता है।

यही कारण है कि गांव वाले इन मूर्तियों को हाथ लगाने से भी डरते हैं। अब इस परिसर में रखी इन पुरानी मूर्तियों को संग्रहालय लाने की कोशिश की जा रही है।

लेकिन इस काम में समस्या ये है कि गांव वाले इस बात का विरोध करते रहे हैं और उन्होंने इन मूर्तियों को हाथ लगाने से भी मना कर दिया।

 

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