सड़क के अभाव में ग्रामीण युवाओं द्वारा एक घायल महिला को उपचार के लिए डोली में बिठाकर लाया गया सड़क तक….

सरकार ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़क पहुंचाने के भले ही लाख दावे करे, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ऐसा ही एक मामला रविवार को पिथौरागढ़ से सटे हुड़ेती गांव में देखने को मिला। जहां सड़क के अभाव में ग्रामीण युवाओं द्वारा एक घायल महिला को उपचार के लिए डोली में बिठाकर सड़क तक लाया गया। जबकि यह गांव जिला मुख्यालय से महज तीन किमी की दूरी पर स्थित है। ऐसे में सीमांत क्षेत्र के दूरदराज के गांवों के हालात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

रविवार की सुबह हुड़ेती गांव में रंगकर्मी जनार्दन उप्रेती की धर्मपत्नी 53 वर्षीय रेवती उप्रेती अपने घर के ही पास जानवरों को चारा डालने के दौरान फिसलकर गिर गई थी। जिसके बाद गांव के युवाओं ने उन्हें डोली के सहारे एक किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया। जहां से उन्हें वाहन से अस्पताल पहुंचाया गया। हुड़ेती गांव के ग्रामीण विगत कई दशकों से सड़क की मांग कर रहे हैं। हालांकि इस गांव के चारों ओर सड़क का जाल बिछा हुआ है, मगर ग्रामीणों को इनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को आज भी आधा से एक किमी पैदल चलना पड़ता है। सड़क के अभाव में आज भी ग्रामीणों को मरीजों को डोली के सहारे सड़क तक पहुंचाया जाता है। वर्ष 2016 में तत्कालीन विधायक मयूख महर ने अपने निजी संसाधनों से जीआइसी-सुकौली सड़क में रामचंद्र मिशन योग ध्यान केंद्र से हुड़ेती गांव के लिए सड़क कटिंग कार्य किया गया था, मगर पुल के अभाव में यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया।

बाद सत्ता बदलने से लटका काम

पूर्व विधायक मयूख महर ने कहा कि हुड़ेती गांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव रहा है। इस गांव तक सड़क पहुंचाना मेरा हमेशा से ही सपना था। वर्ष 2016 में निजी संसाधनों से ग्रामीणों के सहयोग से सड़क कटिंग कार्य शुरू भी किया गया था। मार्ग में पुल निर्माण होना था, मगर इसके बाद सत्ता बदलने से यह कार्य अधर में लटक गया। चार साल बाद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा यह कार्य आगे न बढ़ाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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