
लखनऊ | शौर्यगाथा की इस कड़ी में आज हम आप को उस वीर के बारे में बता रहे हैं जिसे भगत सिंह भी अपना आदर्श मानते थे और उनकी फोटो जेब में रखते थे। करतार सिंह सराभा एक ऐसे ही क्रांतिकारी का नाम है जिसने अपने जिस्म पर गुलामी के दंश झेले थे। हालांकि वे इस ज़ोर-जुल्म के खिलाफ़ हमेशा ही आवाज़ उठाते रहे।
शौर्यगाथा 8 : कर्तार सिंह का जन्म 24 मई 1896 को हुआ
कर्तार सिंह का जन्म 24 मई 1896 को माता साहिब कौर की कोख से हुआ। उनके पिता मंगल सिंह का कर्तार सिंह के बचपन में ही निधन हो गया था। कर्तार सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना के स्कूलों में हासिल की। दसवीं कक्षा पास करने के उपरांत उसके परिवार ने उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए उसे अमेरिका भेजने का निर्णय लिया। अमेरिका के दो तीन महीने के प्रवास में ही जगह-जगह पर मिले अनादर ने सराभा के भीतर सुषुप्त चेतना जगानी शुरू कर दी।
भारतीयों के साथ इस भेदभावपूर्ण व्यवहार के विरुद्ध कनाडा में संत तेजा सिंह संघर्ष कर रहे थे तो अमेरिका में ज्वाला सिंह ठट्ठीआं संघर्षरत थे। इन्होंने भारत से विद्यार्थियों को पढ़ाई करने के लिए अमेरिका बुलाने के लिए अपनी जेब से छात्रवृत्तियां भी दीं।
कर्तार सिंह ने भारत पर काबिज ब्रिटिश औपनिवेशवाद के खिलाफ 19 फरवरी 1915 को “गदर” की शुरुवात की थी | इस “गदर ” यानि स्वतंत्रता संग्राम की योजना अमेरिका ने 1913 में अस्तित्व में आई “गदर पार्टी ” ने बनाई थी और उसके लिए लगभग 8000 भारतीय अमेरिका और कनाडा जैसे देशो से सुख सुविधाओ से भरी जिन्दगी छोडकर भारत को अंग्रेजो से आजाद करवाने के लिए समुद्री जहाजो पर भारत पहुचे थे |
”गदर ” आन्दोलन शांतिपूर्ण आन्दोलन नही था यह सशस्त्र विद्रोह था लेकिन “गदर पार्टी ” ने इसे गुप्त रूप न देकर खुलेआम उसकी घोषणा की थी और गदर पार्टी के पत्र “गदर” जो पंजाबी ,हिंदी , उर्दू एवं गुजराती चार भाषाओ में निकलता था , के माध्यम से इसका समूची जनता से आह्वान किया था |
शौर्यगाथा 8 : करतार सिंह को छ: साथियो के साथ फाँसी दी गई
जैसे 1857 के “गदर” यानि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की कहानी बड़ी रोमांचक है वैसे ही के लिए दूसरा स्वतंत्रता सशश्त्र संग्राम यानि “गदर ” भी चाहे असफल रहा लेकिन इसकी कहानी भी कम रोचक नही है | विश्व स्तर पर चले इस आन्दोलन में 200 से ज्यादा लोग शहीद हुए , “गदर” एवं अन्य घटनाओ में 315 ने अंडमान जैसी जगहों पर काला पानी की उम्रकैद भुगती और 122 ने कुछ कम लम्बी कैद भुगती | सैकड़ो पंजाबियों को गाँवों में वर्षो तक नजरबन्दी झेलनी पड़ी थी |
16 नवम्बर 1915 को साढ़े उन्नीस साल के युवक करतार सिंह सराभा कर्तार कर्तार सिंह को उनके छ: साथियो बख्शीश सिंह, हरनाम सिंह, जगत सिंह ,सुरेन सिंह, सुरैण तथा विष्णु गणेश पिंगले के साथ लाहौर जेल में फाँसी पर चढ़ा कर शहीद कर दिया गया था |