शिव के इस मंदिर में जिसने भी की है पूजा, उसको मिलता है श्राप

देश और दुनिया में देवी-देवताओं के जितने भी मंदिर सभी की भक्तों में बहुत आस्था है। भगवान के भक्त पीड़ाओं से मुक्ति पाने के लिए उनके घर का सहारा ढूंढते हैं जहां से उन्हे सुखी और समृद्धि जीवन मिलने की कामना होती है।

लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पूजा करने से आपको भगवान का आशीर्वाद नहीं श्राप मिलता है।

पिथौरागढ़-का-एक-ऐसा-अभिशप्त-शिव-मंदिर

जी हां। जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर उत्तराखंड़ राज्य के पिथौरागढ़ में है। मंदिर में भगवान की स्थापना तो की गई है लेकिन कोई भी यहां पूजा नहीं करता क्योंकि लोगों का मानना है कि इसकी वजह से उन्हे कई तरह के श्राप का सामना करना पड़ सकता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में शिव जी की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा ही नहीं की गई थी।

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हालांकि इस मंदिर को देखने के लिए शिव भक्त दूर-दूर से आते तो हैं लेकिन यहां पूजा नहीं करते। लोग यहां आकर मंदिर की स्थापना की कला को देखते हैं क्योंकि कहा जाता है कि जिस शिल्पकार ने इस मंदिर को बनाया था उसका एक हाथ नहीं था और उसने अकेले इसे बनाया था। शिल्पकार द्वारा एक हाथ से मंदिर बनाए जाने के कारण माना जाता है कि इस मंदिर का नाम हथिया देवाल पड़ गया था।

चट्टान को काटकर और तराश कर इस मंदिर को और यहां के शिवलिंग को बनाया गया था। मंदिर में पूजा ना करने के वजह यह मानी जाती है कि मंदिर बनाने वाले मूर्तिकार ने शिवलिंग को गलत दिशा में स्थापित कर दिया जिसकी वजह से शिवलिंग की पूजा करनी दोषपूर्ण मानी गई।

विपरीत दिशा में स्थापित हुए शिवलिंग की पूजा फलदायक नहीं बल्कि कष्टदायक मानी जाने लगी। लोगों का कहना था कि यहां पूजा करने से दोष लगता है और इसी वजह से इस मंदिर में पूजा नहीं होती है।

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