शिक्षामित्रों की आखिरी आस भी टूटी, प्री प्राइमरी में भी यह तैयारी जारी

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत बेसिक शिक्षा विभाग के प्रावधानों के मुताबिक पूर्व प्राथमिक शिक्षा से कक्षा 12 तक के शिक्षकों के चयन के लिए टीईटी अनिवार्य किया जाना है। इस प्रावधान के उन 1.30 लाख शिक्षामित्रों की आस भी तोड़ दी है जो पूर्व प्राथमिक स्कूलों में समायोजन की आखिरी उम्मीद लेकर बैठे थे। फिलहाल अब दो दशक तक यूपी की प्राथमिक शिक्षा को संभावने वाले शिक्षामित्रों की पक्की नौकरी का सपना टूटता हुआ दिखाई दे रहा है।

आपको बता दें कि 27 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बगैर टीईटी सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को निरस्त किया गया था। जिसके बाद 1.37 लाख शिक्षामित्रों के सामने बड़ा संकट उत्पन्न हो गया था। बता दें कि प्रदेश सरकार ने पिछले साल अक्टूबर माह में ही 1.89 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल बनाने का निर्णय लिया था। वहीं जब नई नीति में 3 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को प्री-प्राइमरी शिक्षा देना अनिवार्य हुआ तो शिक्षामित्रों ने उम्मीद की नई किरण जगी। शिक्षामित्रों को विश्वास था कि पूर्व माध्यमिक स्कूलों में परिवर्तित हो रहे आंगनबाड़ी में उनका समायोजन हो जाएगा।

तकरीबन 7 हजार शिक्षामित्रों को 68,500 भर्ती में नौकरी मिली है जबकि शेष 1.30 लाख शिक्षामित्र वर्तमान में संघर्ष कर रहे हैं। इन सभा के पास टीईटी नहीं होने के चलते उनका समायोजन निरस्त हो गया था।

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