शर्मसार : पार्क से महिला को पुलिस थाने लाए, बेल्ट से पीटा, अब वीडियो हुआ वायरल …

नई दिल्ली : भारत में पुलिस के काम करने का तरीका अक्सर शक की नज़र से देखा जाता है. ख़ासकर उत्तर भारत की पुलिस. सवाल उठते रहे हैं। और जैसे ही ‘पुलिस का काम देखो’, ‘काम के घंटे देखो’, ‘हमेशा चोरों से सामना होता है’, ‘त्योहार घर में नहीं मना पाते’ वाले तर्क इस बहस में पुलिस के नंबर ठीक ठाक करते हैं, बस वैसे ही भाई लोग कोई ऐसा काण्ड-कारनामा कर गुज़रते हैं कि बेंचमार्क का लेवल बढ़ जाता है।

महिला

 

बता दें की फ़रीदाबाद में बल्लभगढ़ के एक पुलिस स्टेशन का एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह मामला बल्लभगढ़ के आदर्श नगर पुलिस थाने का है. वीडियो महीनों पुराना है, लेकिन वायरल 26 मई के आस-पास होना शुरू हुआ. करीब 4 मिनट का ये वीडियो दर्दनाक है।

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लेकिन एक महिला पार्क में बैठी है। बैठी ही है। केवल बैठी है. बैठेगी ही. पार्क बैठने की जगह है. हम सब पार्क जाते हैं। एक शब्द होता है क़ानूनी ,  और दूसरा शब्द होता है ग़ैर-कानूनी. यानी जो क़ानूनी ना हो। ये कैसे पता चलेगा कि पार्क में बैठना क़ानूनी है कि नहीं. इसके लिए बाक़ायदा लिखित में भारतीय दंड संहिता है।  लेकिन अंग्रेज़ी में इसे इंडियन पीनल कोड. और उर्दू में ताज़िरात-ए-हिंद कहते हैं।

 

लेकिन इस क़ानून की क़िताब में पार्क में बैठना ऐसा काम नहीं है, जिसके लिए किसी औरत को उठाकर थाने लाया जाए. और आसान शिकार देखकर पूरा पुलिस थाना अपने दिमाग की भभकती फ्रस्ट्रेशन उस औरत पर उतार दे। लेकिन हमारे यहां पुलिस अपने मैनुअल के हिसाब से चलती है. और उन पुलिसवालों का मैनुअल सिखाता है कि अगर देर रात पार्क में अकेली औरत दिख गई तो ये ‘मौक़ा’ किसी हाल में छोड़ना नहीं चाहिए. क़ानून-वानून गया चूल्हे-भाड़ में.

 

देखा जाये तो हो वही रहा है जो सदियों से होता आया है. एक कमज़ोर महिला है। लेकिन ताक़त का प्रतीक एक पुलिस थाना है. और अंदर कुछ कुंठित पुलिस वाले हैं। जहां एक के हाथ में बेल्ट जैसा कुछ है. जिसे वो भांजने के लिए लालायित है। और रह रहकर अपने थर्ड डिग्री दिमाग़ का आई कार्ड दिखाता रहता है. पूरा पुलिस थाना मिलकर महिला से कोई मोबाइल नंबर पूछ रहा है. जो उसे याद नहीं आ रहा हैं।

एक पुलिस वाला उसे ‘लिटाने’ की धमकी देता भी सुना जा सकता है। मतलब अगर बेल्ट की धुनाई से नहीं मानी तो वही करेंगे जो करने के लिए यहां लाए थे। क्योंकि वीडियो तो सिर्फ़ चार मिनट कुछ सेकंड का है. कौन कह सकता है कि उसके आगे क्या हुआ हैं।

# मामले में ऐक्शन क्या लिया गया?

देश के सभी पार्कों में रातों को अकेली बैठी औरतों, लड़कियों, बच्चियों को अपना वीडियो वायरल होने का इंतज़ार करना होगा। लेकिन अगर पीड़ित महिला का वीडियो वायरल हो जाए तो आरोपी पुलिसवालों पर ऐक्शन लिया जाएगा

पुलिसवालों ने मज़ा बढ़ाने के लिए जो वीडियो रिकॉर्ड किया था. वो कहीं से लीक हो गया। पुलिस की थू-थू हो गई. ऐक्शन तो लेना ही था। जहां आदर्श नगर (नाम भी अजीब आयरनी है न) पुलिस थाने में टोटल 5 लोग दोषी पाए गए हैं। दो हेड कॉन्स्टेबल सस्पेंड हुए हैं।  और तीन पीएसओ बर्ख़ास्त कर दिए गए हैं।

# 100 मीटर पर महिला पुलिस थाना भी था

जहां ये सारा करमजाल फैलाया गया, उस आदर्श नगर थाने से महज़ 100 मीटर की दूरी पर एक महिला पुलिस थाना भी था। यानी यही पूछताछ महिला पुलिसकर्मी भी कर सकती थीं. लेकिन ये सवाल ही बेमानी है कि उन्हें ख़बर क्यों नहीं दी गई हैं।

दरअसल  वीडियो सामने आ चुका है. ऐक्शन भी लिया जा चुका है। आगे जांच चल रही है. लेकिन सवाल यही है कि ऐसी खूंखार पुलिसिया रातों के और कितने वीडियो होंगे, जो अब तक लीक नहीं हुए। और आज भी पार्कों में शिकार बदस्तूर जारी होगा। पुलिस वालों को क़ानून की भाषा समझनी समझानी चाहिए. इससे पार्कों में देर रातों को बैठी औरतों की ज़िंदगी और आसान होगी।

 

 

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