शर्मसार! दलालों ने ले ली बच्ची की जान, जानें क्या है पूरा मामला
रिपोर्ट – अक्षय कुमार शर्मा
बहराइच- चाहे निजी अस्पताल हो या सरकारी सभी जगहों पर मरीजों के बेहतर इलाज को लेकर भले ही सूबे की सरकार द्वारा कड़े निर्देश जारी होता हो,,लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी तमाम निजी अस्पताल सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी पर उतर आए हैं,,ताजा मामला जनपद बहराइच का है,,जहां बेहड़ा निवासी कमलाकांत अपनी 4 साल की मासूम बच्ची को बुखार होने पर इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आये थे जहां से बच्ची को लखनऊ रेफर कर दिया गया।
लेकिन वहां जाने से पहले ही इनको आसपास मौजूद निजी अस्पतालों के दलालों ने घेर लिया । जिसके बाद जबरन एक दलाल द्वारा एक निजी अस्पताल में बच्ची का इलाज करवाने के लिए इनको ले जाया गया ,,वहां पहुचने पर परिजनों से इलाज के एवज में 2 लाख की मोटी रकम की मांग की गई जिसके बाद बच्ची को भर्ती करते समय परिजनों द्वारा 1 लाख रुपए जमा भी करवा दिया गया,,इसके बावजूद अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा इस तरह लापरवाही की गया कि बच्ची की मौत हो गयी।
मौत के मुँह में समा चुकी बच्ची को अस्पताल कर्मियों ने सीरियस होने का बहाना कर मेडिकल कालेज रेफर किया लेकिन कुछ ही पलों में परिजनों को जानकारी हुई कि उनकी लाडली का दम टूट चुका है जिसके बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ते हुए बच्ची के शव को रोड पर रखकर जाम लगा दिया/ परिजनों का कहना है कि जिला अस्पताल में मौजूद दलालों के चक्कर मे फँस कर आज उन्हें बच्ची की जान से हाथ धोना पड़ा है परिजनों के कोहराम और रोड जाम की वजह से घण्टो अफरातफरी का माहौल बना रहा।
केंद्र और यूपी सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाएं शायद ऐसे ही जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने से पहले दम तोड़ देतीं हैं जिसकी वजह से आम आदमी आज भी उपेक्षा का शिकार है गौर से देखिए इस बेबस पिता को जो अपनी नन्हीं सी बच्ची के शव को गोद में लिए किस तरह रो रहा है इस पिता ने अपनी इस लाडली के इलाज के लिए अपनी जमीन तक गिरवी रख दिया है लेकिन इसके बावजूद वो अपने जिगर के टुकड़े को बचा नही सका।
बेहड़ा निवासी कमलाकांत की 4 साल की बच्ची वायरल बुखार से पीड़ित थी इलाकाई इलाज करने के बाद उमाकांत ने अपनी बच्ची को जिला अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में एडमिट करवाया। लेकिन सायद नियति को कुछ और ही मंजूर था कि तभी कुछ निजी अस्पताल के दलालों ने उमाकांत से बेहतर इलाज करवाने की बात कहकर बच्ची को लखनऊ गोल्डन अस्पताल के नाम स्थित निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया।
बच्ची को अत्यधिक सीरियस बता कर एडमिट करने से पहले अस्पताल की तरफ से परिजनों से 2 लाख की माँग की गई जिसके एवज में परिजनों ने जमीन गिरवी रखकर 1 लाख दे दिया/ दूसरे दिन फिर लगातार डाक्टरों द्वारा परिजनो से पैसे की मांग की जाने लगी जबतक परिजन पैसे की व्यवस्था करते तबतक अस्पताल में मौजूद नंन्ही सी जान ने अपना दम तोड़ दिया।
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बच्ची की मौत के काफी देर बाद भी अस्पताल कर्मियों ने परिजनों को भनक नही लगने दिया और सीरियस होने की बात कहकर मेडिकल कालेज लखनऊ रेफर कर दिया/ एम्बुलेंस में बैठाने के लिए जैसे ही परिजनों ने बच्ची को गोद मे लिया तो शरीर मे कोई हरकत ना होता देख उनके होश उड़ गए और रो रो कर कोहराम मचाने लगे। परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों और दलालों को बच्ची की मौत का जिम्मेदार ठहराया है।