शरद पवार ने सचिन तेंदुलकर को दी नसीहत- अपने क्षेत्र से अलग विषय पर बोलने में बरतें सावधानी

पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीटों के बाद तेंदुलकर और सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर जैसी हस्तियों ने सरकार के समर्थन में सोशल मीडिया पर हैशटैग इंडिया टुगेदर और हैशटैग इंडिया अगेंस्ट प्रोपेगेंडा पर अपने संदेश दिए थे। इसे लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि किक्रेट आइकन सचिन तेंदुलकर को किसानों के मुद्दे पर बोलने में सतर्क रहना चाहिए। 

तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे प्रदर्शन को लेकर सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर जैसी बड़ी हस्तियों ने भी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं, इस पर पवार का कहना था कि लोगों ने जोरदार जवाब दिया है। पवार पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मैं सचिन (तेंदुलकर) को सलाह दूंगा कि उन्हें दूसरे क्षेत्र के मुद्दों पर बोलते समय सतर्क रहना चाहिए।’

पवार ने बीजेपी पर साधा निशाना

शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर गलत तरीके से कानून लाने का आरोप लगाया और कहा कि हमारा तब इस तरह का कानून बनाने का उद्देश्य नहीं था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को शायद इस बात की जानकारी नहीं है जो वे इस खत की बात कर रहे हैं. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वे तोमर का अनादर नहीं करते लेकिन किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी के किसी वरिष्ठ नेता को हस्तक्षेप करना चाहिए यह जरूरी हो गया है. पवार ने कहा कि खुद प्रधानमंत्री या फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह या नितिन गडकरी को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिससे किसान आंदोलन का कोई हल निकले।

एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि अगर सरकार किसी वरिष्ठ नेता को ये जिम्मेदारी सौंपती है तो किसानों को भी गंभीरता से बात करनी चाहिए. किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सड़क पर नुकीली कील लगाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है।

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की ओर से किसान आंदोलन को लेकर चिंता व्यक्त किए जाने को लेकर सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि इतने महीने बाद भी कोई किसानों की सुधि नहीं ले रहा. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता होना स्वाभाविक है. उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि पीएम मोदी ने कहा था अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप होंगे. तब अमेरिका के कुछ लोगों को अच्छा लगा था तो कुछ को बुरा भी. अब वहां से किसानों के लिए समर्थन स्वाभाविक है।

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