दोहरे संयोग पर शनि की पूजा से कटेगा साढ़ेसाती, बरसेगा धन

शनि अमावस्याजो शनि के प्रकोप से बचना चाहते हैं उनके लिए है दोहरा मौका। इस बार 20 वर्ष बाद कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है जब शनि अमावस्या और शनि जयंती एक साथ पड़ रहे हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढ़ैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करता है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं। पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है। शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता से कर सकते हैं।

शनि अमावस्या पर शनिदेव की कृपा

इस बार शनि देव दो दिन भक्तों के ऊपर अपनी कृपा बरसाएंगे, क्योंकि 4 जून को शनि अमावस्या है, तो वहीं 5 जून को शनि जयंती मनाई जाएगी। इसके साथ ही इस दिन एक बहुत ही अच्छा योग भी है। जिसके कारण इस दिन शनि भगवान की पूजा का फल जरुर मिलेगा। ऐसा संयोग 20 साल बाद आया है, जब दो शुभ योग एक साथ आए हैं। शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शनिश्चरी अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का संयोग बनेगा। इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया शनि स्‍त्रोत का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं। जो लोग इस दिन यात्रा पर जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है वह सफर में शनि नवाक्षरी मंत्र अथवा “कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।” मंत्र का जप करने का प्रयास करें तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होगी| वहीं दूसरी ओर शनि जयंती को रोहिणी नक्षत्र, अमावस्या और उच्च चंद्रमा का भी योग बना है। इतने विशेष योग के कारण इस दिन शनि भगवान को खुश करना बहुत ही आसान होगा।

ज्योतिषचार्य के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ करना बहुत ही शुभ होगा, क्योंकि इस दिन इतने अच्छे संयोग के कारण आपको धन-धान्य की प्राप्ति होगी। साथ ही जिनके कुंडली में साढेसाती या ढैय्या लगा है। इस दिन विधि-विधान से पूजन करने से इससे भी मुक्ति मिलेगी।

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