रोज वृक्षासन करने के हैं कई लाभ, कद बढ़ाने, पैर दर्द और जोड़ों के दर्द में है फायदेमंद

योगा अब भारत ही नहीं दुनियाभर में तेजी से पॉपुलर हो रहा है। इसका कारण यह है कि योगासनों के द्वारा बहुत सारे जटिल रोगों और समस्याओं को आसानी से ठीक किया जा सकता है। वृक्षासन एक ऐसा ही आसन है, जिसे करना बहुत आसान है मगर इसके फायदे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। बहुत सारे लोगों का कद सामान्य से छोटा रह जाता है। वृक्षासन के नियमति अभ्यास से न सिर्फ आपका कद बढ़ता है बल्कि घुटने में दर्द, गठिया, जोड़ों में दर्द और अन्य बहुत सारी समस्याओं में भी फायदा मिलता है। आइए आपको बताते हैं वृक्षासन के फायदे और इसे करने की आसान विधि।

वृक्षासन

कद बढ़ाता है वृक्षासन

आमतौर पर कद न बढ़ने का कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन और अनुवांशिकता होती है। वृक्षासन के अभ्यास से शरीर में कद बढ़ाने वाले हार्मोन्स(एचजीएच) का स्राव बेहतर होता है, जिससे आपका कद बढ़ता है। हालांकि 23-25 की उम्र के बाद कद बढ़ना बहुत मुश्किल होता है मगर कई बार इस कुछ सेन्टीमीटर तक कद बढ़ जाता है।

पैर और एड़ी के दर्द में राहत

कई बार ज्यादा चलने, खड़े रहने या गलत पोजीशन में लेटने और बैठने के कारण पैरों में दर्द की समस्या हो जाती है। ऐसे में वृक्षासन के अभ्यास द्वारा न सिर्फ आपके पैर और एड़ियों का दर्द खत्म हो जाएगा बल्कि आपके पैर भी मजबूत बनेंगे। पैरों को मजबूत बनाने के लिए ये सबसे अच्छा आसन माना जाता है।

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गठिया और जोड़ों के दर्द से राहत

वृक्षासन का अभ्यास आपको जोड़ों के दर्द, गठिया और नसों के दबाव के कारण होने वाले दर्द से भी राहत दिलाता है। शरीर के निचले हिस्से (कमर के नीचे) की सभी समस्याओं के लिए वृक्षासन को बेहतर योगासन माना जाता है।

शरीर की चर्बी गलाता है वृक्षासन

वृक्षासन पैरों को मजबूत तो बनाता ही है। साथ ही यह स्नायुमण्डल का विकास कर पैरों को स्थिरता प्रदान करता है। यह कमर और कूल्हों के आसपास जमीं अतिरिक्त चर्बी को हटाता है। मतलब यह है कि अगर आपका वजन ज्यादा है यानी आप मोटे हैं तो यह आसन आपको विशेष रूप से लाभ पहुंचा सकता है। चर्बी घटाने के बाद यह आसन शरीर को कमजोर नहीं करता वरन मजबूती देता है। अगर आप अपनी बढ़ती तोंद से परेशान हैं तो इस आसन को अवश्य करें।

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ऐसे करें वृक्षासन

वृक्षासन को करने के लिए सबसे पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के बीच कुछ दूरी बनाकर खड़े रहें। फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधा कर हथेलियों को मिला दें। अब दाहिने पैर को मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे एक ही सीध में हों। जब तक संभव हो ऐसे रहें। कुछ देर बाद अन्य पैर से भी यह दोहराएं।

 

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