विश्व कप 2019 बतौर कप्तान कोहली की असली परीक्षा, यहां खड़ी हो सकती है समस्या

विराट कोहली लगातार अपने अच्छे प्रदर्शन से महान खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इंग्लैंड में होने वाला विश्व कप भारतीय कप्तान के रूप में अपनी छाप छोड़ने का मौका होगा। ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर टेस्ट सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान कोहली ऐसी टीम की अगुवाई करेंगे, जिसकी अपनी कुछ समस्याएं हैं, लेकिन वह मैच का रूख बदलने वाली टीमों से जरा भी कम नहीं है जो बड़े टूर्नमेंट के लिए जरूरी चीज होती है।

टीम इंडिया के सामने ये हैं सवाल
चौथे नंबर पर कौन बल्लेबाजी करेगा? क्या केदार जाधव ठीक हैं? तीसरा तेज गेंदबाज या फिर अतिरिक्त ऑलराउंडर? कुलदीप या चहल या फिर दोनों? विश्व कप में कोहली की काबिलियत बतौर बल्लेबाज से ज्यादा बतौर कप्तान देखी जाएगी। अगर भारतीय टीम विश्व कप जीत जाती है तो वह एक अपनी ही ऐसी लीग में शामिल हो जाएंगे कि जो उनकी तकनीकी दक्षता के प्रति थोड़े संशय में हैं, उनके पास भी उनकी उपलब्धियों के सामने झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन तक तो ठीक
इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय कप्तान इस सात हफ्ते तक चलने वाले टूर्नमेंट में काफी अहम होंगे, जिसमें उनके 11,000 रन पार करने की उम्मीद है और वह कुछ और शतक भी अपने 41 सैकड़ों में जोड़ना चाहेंगे। इंग्लैंड में पिचें ‘पैनकेक’ की तरह सपाट होने वाली हैं तो रोहित शर्मा अपनी शानदार बल्लेबाजी की बदौलत कुछ और बड़े शतक जमा सकते हैं, हो सकता है कि इसमें चौथा दोहरा शतक भी शामिल हो जाए, लेकिन इसके लिए उपकप्तान को यही फॉर्म जारी रखनी होगी। टीम में शिखर धवन भी हैं जिन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय आगाज के बाद से आईसीसी प्रतियोगिताओं में कभी भी खराब प्रदर्शन नहीं किया है और वह भी इस रेकॉर्ड को बरकरार रखना चाहेंगे।

यहां है असल परेशानी
परेशानियां इसके बाद से शुरू होती हैं और यह ऐसी चीज है जो टीम शीर्ष तीन खिलाड़ियों के कई मौकों पर अच्छे प्रदर्शन के बावजूद पेपर पर सुलझाने में असफल रही है। और वह है चौथे नंबर का स्थान, अंबाती रायुडू के इस स्थान की दौड़ में असफल होने के बाद यह चर्चा का विषय बना हुआ है और ऋषभ पंत को भी टीम में जगह नहीं मिल सकी है। वहीं उनकी जगह दिनेश कार्तिक के अनुभव को तरजीह दी गई। विजय शंकर या विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल के इस स्थान पर खेलने की उम्मीद हैं। लेकिन जो भी खेलेगा, उसे जिम्मेदारी से खेलना होगा।

मध्यक्रम में क्या है खास?

महेंद्र सिंह धोनी का संभवत: अंतिम विश्व कप अभियान उनके असंख्य प्रशंसकों के लिए भावनात्मक होगा, लेकिन 70 के स्ट्राइक रेट और 35वें से 50वें ओवर के बीच लगातार अंतराल पर तेजी से रन जुटाने की काबिलियत से प्रतिद्वंद्वी टीमों की दिलचस्पी बनी रहेगी। छठे नंबर पर केदार जाधव होंगे जिनके पांच जून तक फिट होने की उम्मीद लगाई जा रही है, जिस दिन भारतीय टीम साउथम्पटन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अभियान की शुरूआत करेगी। हालांकि 14 आईपीएल मैचों में जाधव का लचर प्रदर्शन चिंता का विषय होगा।

स्पिन अटैक दमदार, पांड्या से भी उम्मीद
सातवें नंबर पर हार्दिक पांड्या की बहुमुखी प्रतिभा के टूर्नमेंट के दौरान अच्छे इस्तेमाल की उम्मीद है। डेथ ओवरों में छक्के जड़ने की उनकी क्षमता खेल का परिदृश्य को बदल सकती है। भारतीय टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं ने पिछले दो वर्षों में कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल काफी जोर दिया है जिन्होंने भी अच्छी सफलता हासिल की है। लेकिन भारत में पिछली वनडे सीरीज खेलने आई ऑस्ट्रेलियाई टीम इन दोनों की गेंदबाजी को समझने में सफल रही जिसमें युवा एश्टन टर्नर (विश्व कप टीम में शामिल नहीं) ने मोहाली में जबकि उस्मान ख्वाजा और आरोन फिंच ने रांची में उनके खिलाफ बेहतर खेल दिखाया।

कुलदीप की फॉर्म पर नजर
कुलदीप की आईपीएल में फॉर्म अच्छी नहीं रही जिसके कारण उन्हें आईपीएल अंतिम एकादश से भी बाहर कर दिया गया। विश्व कप टीम में शामिल भारतीय खिलाड़ियों से वह एकमात्र ऐसे क्रिकेटर थे जो आईपीएल में अंतिम एकादश से बाहर हुए।

युवराज ने कर ली रिटायरमेंट की तैयारी, लेकिन एक शर्त पर ! देखें क्या है वो शर्त …

तेज गेंदबाजी में पकड़ मजबूत
जसप्रीत बुमराह टीम में मौजूद हैं जो आने वाले वर्षों में भारत के महानतम मैच विजेताओं में शुमार होंगे। वहीं मोहम्मद शमी की स्विंग अप-फ्रंट और बुमराह की डेथ ओवर में यॉर्कर ऐसा जानदार मिश्रण तैयार करती है जो विपक्षी टीमों के लिए मारक साबित होगा। 9 लीग मैचों में से छह में जीत हासिल करना सेमीफाइनल के लिए क्वॉलिफाइ करने के मद्देनजर सही साबित हो सकता है।

LIVE TV