
वैसे तो हिंदू धर्म में हर त्योहार का विशेष महत्व होता है। लेकिन विजय एकादशी का कुछ अलग ही महत्व है। इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता श्री विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से हर तरह की परेशानी दूर होती हैं। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। मलमास की वजह से एकादशी के व्रत बढ़ भी सकते हैं। ये एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष में आती है।
वैसे तो साल में आने वाली सभी एकादशी खास होती है लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अपने कार्यों में विजय प्राप्त होती है। इस विजया एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पापों का नाश हो जाता है। एक समय देवर्षि नारदजी ने जगत् पिता ब्रह्माजी से कहा महाराज! आप मुझसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधान कहिए।
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ब्रह्माजी कहने लगे कि हे नारद! विजया एकादशी का व्रत पुराने तथा नए पापों को नाश करने वाला है। इस विजया एकादशी की विधि मैंने आज तक किसी से भी नहीं कही। यह समस्त मनुष्यों को विजय प्रदान करती है। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्रजी को जब चौदह वर्ष का वनवास हो गया, तब वे श्री लक्ष्मण तथा सीताजी सहित पंचवटी में निवास करने लगे। वहाँ पर दुष्ट रावण ने जब सीताजी का हरण किया तब इस समाचार से श्री रामचंद्रजी तथा लक्ष्मण अत्यंत व्याकुल हुए और सीताजी की खोज में चल दिए।